19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जमीन गयी 200 लोगों की, नौकरी सिर्फ दो को, रोटी के पड़ गये लाले

समस्या. बढ़ता जा रहा है विस्थापितों का दर्द, ब्लास्टिंग से घरों में पड़ीं दरारें हजारीबाग : कोयलांचल क्षेत्र के लक्ष्यो भू-गर्भ परियोजना में रहावन मौजा के दो सौ लोगों की जमीन अधिग्रहित की गयी है. जमीन लेने से पहले ग्रामीणों को मुआवजा देने की बात कही गयी थी, लेकिन अब जमीन अधिग्रहित करने के बाद […]

समस्या. बढ़ता जा रहा है विस्थापितों का दर्द, ब्लास्टिंग से घरों में पड़ीं दरारें
हजारीबाग : कोयलांचल क्षेत्र के लक्ष्यो भू-गर्भ परियोजना में रहावन मौजा के दो सौ लोगों की जमीन अधिग्रहित की गयी है. जमीन लेने से पहले ग्रामीणों को मुआवजा देने की बात कही गयी थी, लेकिन अब जमीन अधिग्रहित करने के बाद मात्र दो लोगों को ही नौकरी मिल पायी है.
इस कोलियरी में गांव की कुल 500 एकड़ जमीन गयी है. इनमें से 223.99 एकड़ जमीन का भुगतान नियम संगत नहीं किया गया. भुक्तभोगी बलदेव महतो भी उन्हीं भुक्तभोगी में से एक हैं.
उन्होंने बताया कि एक नंबर खेत का भुगतान 14300 रुपये प्रति एकड़, दो नंबर खेत का 8950 रुपये और तीन नंबर खेत का भुगतान 7150 रुपये प्रति एकड़ की दर से तय हुआ है.
इनमें गैरमजरुवा जमीन 250 एकड़ है. 1981 में सीसीएल ने वृद्ध लोगों से ठेपा लगवाया और जमीन के कागजात की मूलप् रति अपने पास रख लिया. इससे ग्रामीणों को अपना रिकॉर्ड निकालने में परेशानी हो रही है. कंचन महतो ने बताया कि गैरमजरुआ जमीन की सत्यापन के लिए सीसीएल ने दिनांक 5/2/1985 को अंचल कार्यालय गोमिया को भेजा. अंचल से नोटिस मिलने के बाद सभी रैयत अपने-अपने कागजात लेकर अंचल कार्यालय पहुंचे. सभी रैयतों ने मूल कागजात को वहां दिखाया, लेकिन इसके बाज भी कार्रवाई नहीं हुई. गांव की जमीन की रसीद कटना बंद हो गया है. किसी तरह की खरीद बिक्री नहीं कर पा रही है. इससे ग्रामीण आर्थिक समस्या से भी जूझ रहे हैं. रामेश्वर महतो ने बताया कि जिस समय से सीसीएल में जमीन गयी है, उस समय से वे नौकरी के इंतजार में हैं.
क्या है प्रावधान: 223.99 एकड़ जमीन में से 112 लोगों को नौकरी मिलनी चाहिए थी, जो 35 वर्षो बाद भी नहीं मिल पायी है. एक व्यक्ति की नौकरी दो एकड़ जमीन में होती है.
विस्थापितों की आइडी कार्ड नहीं बना
सीसीएल प्रबंधन और रैयतों के बीच समझौता हुआ था कि जिन-जिन रैयतों की जमीन लक्ष्यो भू-गर्भ परियोजना में गयी है, उन सभी का यूआइडी कार्ड बनेगा, ताकि उन्हें राहत मुआवजा मिल सके, लेकिन आज तक गांव के किसी भी भू-रैयतों का यूआइडी कार्ड नहीं बना. यूआइडी कार्ड बनाने का नियम कोल इंडिया के सरकूलर में दर्ज है.
घरों की दीवारों में दरारें
झारखंड उत्खनन परियोजना में बीजीआर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा ब्लास्टिंग होने से रहावन गांव के लगभग घरों की दीवारों में दरार हो गयी है. ब्लास्टिंग के समय लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं दी जाती है. रात के समय में बीजीआर इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ब्लास्टिंग करती है, जिससे गांव में कंपन होता है.
घरों की मरम्मति के लिए हुआ था एकरारनामा
विस्थापित संघर्ष मोरचा के सह सचिव त्रिवेणी प्रसाद ने बताया कि दिनांक 24.9.2015 को सीसीएल और भू-रैयतों के बीच एकरारनामा बनी थी कि जिन लोगों के घरों में ब्लास्टिंग से दरारें होती है,
उनके घरों की मरम्मत होगी. इसके अलावा प्रतिदिन पानी का छिड़काव, रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था, रहावन बस्ती में सीएसआर के तहत डेवलपमेंट का कार्य, रोड, पानी की व्यवस्था की बात कही गयी थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. गांव के लोग इस बात को लेकर कई बार सीसीएल महाप्रबंधक से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन काई कार्रवाई नहीं हुई.
गांव की जमीन हुई बंजर
लक्ष्यो अंडर ग्राउंड चलने से खेत की ऊपरी सतह पूरी तरह से बंजर हो गया है. खेत का पानी सीधे खदानों में चली जाती है. गांव में फसल नहीं उग पा रहे हैं. इससे गांव के लगभग 1200 लोगों के समक्ष भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है.
हाई कोर्ट में मामला दर्ज: विस्थापित रैयतों ने अधिक पैसे की मांग को लेकर 1990 में हाइकोर्ट में मामला दर्ज कराया. केस संख्या 464, 502, 504, 524, 529, 610 है. इस मामले को लेकर रैयतों ने उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया है, लेकिन वहां भी रैयतों को राहत नहीं मिली. ग्रामीणों की परेशानी बढ़ी हुई है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें