प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदाता उत्साहितउग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव की चर्चा जोरों पर एक दशक पूर्व चुनाव बहिष्कार के कारण लोग नहीं कर पाते थे मतदानलावालौंग. एक दशक पूर्व यहां चुनाव की चर्चा करने से लोग डरते थे़ वहीं आज वहां पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है़ सोमवार को साप्ताहिक हाट में पंचायत चुनाव पर अधिकांश लोग चर्चा करते दिखे़ चुनाव बहिष्कार का खामियाजा भुगत चुके लोग खुलकर मतदान करने व अपने प्रतिनिधि चुनने के लिए उत्साहित है. 1990 से लेकर 2005 तक नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार के कारण लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाते थे़ और न ही प्रचार प्रसार करने प्रत्याशी पहुंचते थे़ यही वजह है कि लावालौंग आज तक उपेक्षित रहा़ स्थिति बदली अब यहां के लोग चुनाव लड़ने को तैयार है. इसके पूर्व लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने लंबी लाइन लगा कर सुबह से शाम तक मतदान किया था़ पंचायत चुनाव की चर्चा प्रखंड के अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र रिमी, रामपुर, टिकदा, बरवाडीह, नावाडीह, शिलदाग, बनवार, मंधनिया, कोलकोले, भुसाड, मडवा, बहेराडीह समेत कई गांवों में सुबह से लेकर शाम तक बस पंचायत चुनाव की ही चर्चा है़ मुखिया, पंसस, वार्ड सदस्य पद के लिए भाग्य आजमाने वाले लोग गांव में जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है़ बुद्धिजीवियों ने इसे एक लोकतंत्र के प्रति शुभ संकेत बताया है़
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प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदाता उत्साहित
प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदाता उत्साहितउग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पंचायत चुनाव की चर्चा जोरों पर एक दशक पूर्व चुनाव बहिष्कार के कारण लोग नहीं कर पाते थे मतदानलावालौंग. एक दशक पूर्व यहां चुनाव की चर्चा करने से लोग डरते थे़ वहीं आज वहां पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है़ सोमवार को साप्ताहिक हाट में […]
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