आनंद सोरेन
न प्रशासन ने ध्यान दिया, न जनप्रतिनिधियों ने
चुरचू : राज्य सरकार विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन हजारीबाग जिले के चुरचू प्रखंड में एक ऐसा गांव है लुकैया, जहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है. गांव में पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा की घोर कमी है. गांव चारों तरफ घने जंगल के बीच पहाड़ की तलहटी में बसा है.
चापानल व कुआं नहीं है. रोजगार के अभाव में गांव के लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं. गांव प्रखंड मुख्यालय से सात किमी की दूरी पर स्थित है. आजादी के बाद से आज तक न कोई सांसद और न ही कोई विधायक इस गांव के लोगों की सुधि लेने आये हैं. पदाधिकारी तो इस गांव की समस्या के बारे में जानने की भी कोशिश नहीं करते हैं.
इंदिरा आवास नहीं : लुकैया गांव में एक भी तालाब, कूप या इंदिरा आवास नहीं बना है. गांव में सिर्फ गंझू जाति के लोग निवास करते हैं.
पोल है, लेकिन तार नहीं : लुकैया में चार वर्ष पूर्व राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत पोल व तार गांव तक लाया गया. लेकिन एक सप्ताह के अंदर ही चोर उसे ले उड़े. उस समय से गांव को बिजली नसीब नहीं हो सकी.
गांव में एक भी चापानल नहीं : गांव में एक भी चापानल नहीं है. लोगों को शुद्ध पानी नहीं मिलता है. आये दिन लोग बीमार होते रहते हैं. ग्रामीणों ने मिल कर एक पानी टैंकर खरीदा है. जिससे यहां के लोग खाना बनाने, कपड़ा धोने व पशु धोने का पानी लाते हैं. पानी डाड़ी या फिर नदी, चुआं खोद कर लाते हैं. गरमी के दिन में डाड़ी सूख जाता है.
शिक्षा, स्वास्थ्य भगवान भरोसे : ग्रामीण सोमर गंझू, जागो गंझू व प्रदीप गंझू ने बताया कि सड़क जजर्र है. पैदल चलना मुश्किल हो गया है. अगर कोई बीमार पड़ गया, तो खटिया के सहारे अस्पताल ले जाना पड़ता है. यही हाल शिक्षा का है. यहां के बच्चों व गर्भवती महिलाओं को आंगनबाड़ी केंद्र से किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलती है.
जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी गांव नहीं पहुंचे : ग्रामीणों ने बताया कि उक्त गांव में आज तक एक भी पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि नहीं पहुंचे हैं. विधायक व सांसद तो चुनाव में भी नहीं आते हैं. गांव में मात्र एक मैट्रिक पास युवक है.