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गुमनाम शहीद चामू उरांव को मिली पहचान, पुग्गू घांसीटोली में लगी प्रतिमा

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में छह दिसंबर को शहीद हो गये थे चामू उरांव

गुमला. सन 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद चामू उरांव के शहादत दिवस पर शनिवार को गुमला के पुग्गू घांसीटोली में शहीद चामू उरांव की प्रतिमा का अनावरण सह श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर एनडीसी ललन रजक, सदर थाना प्रभारी महेंद्र करमाली, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आर्मी सेना में अमर शहीद चामू उरांव के साथी कैप्टन गुना भगत, मंत्री चमरा लिंडा की धर्मपत्नी सुनीता लिंडा समेत कैप्टन लोहरा उरांव, एयरफोर्स रिटायर कैप्टन अब्दुल गफ्फार, कार्यक्रम संयोजक आर्मी रिटायर बिनोद मिंज, कैप्टन शिवप्रसाद उरांव, जलसेना के रघुवर बड़ाइक, मीला उरांव, एमिलयानी लकड़ा, एंजलिना टोप्पो, डॉक्टर तेतरू उरांव, अमर शहीद चामू उरांव का भतीजा बिनोद उरांव, बहु रंथी देवी व पूर्व मुखिया बुधू टोप्पो समेत ग्रामवासी मौजूद थे. कार्यक्रम में अमर शहीद चामू उरांव की प्रतिमा का अनावरण किया गया. इसके बाद सभी ने शहीद चामू उरांव को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके बलिदान को याद कर नमन किया. कार्यक्रम संयोजक बिनोद मिंज ने कहा कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पुग्गू घांसीटोली के चामू उरांव शहीद हो गये थे. हालांकि अमर शहीद चामू उरांव को कोई वीरता मेडल नहीं मिला. लेकिन वे आज भी हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं. उन्होंने कहा कि सन 1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई 13 दिनों तक चली थी. यह युद्ध तीन दिसंबर को शुरू होकर 16 दिसंबर को खत्म हुआ था. इस युद्ध के दौरान भारतीय सेना के सैनिक पुग्गू घांसीटोली के चामू उरांव शहीद हो गये थे. छह दिसंबर 1971 को वे अपने अन्य 10-11 भारतीय सैनिक साथियों के साथ गुसवापाड़ा चौकी (इंडिया-पाकिस्तान बॉर्डर) में मोर्चा संभाले थे. वे अपने साथियों के साथ बंकर में थे. इस बीच पाक सैनिकों ने धोखा से अचानक से उनके बंकर में बम फेंक दिया. बम फटने से वे शहीद हो गये थे. उनके साथ उनके अन्य कई साथी शहीद हो गये थे. उन्होंने बताया कि घांसटोली में अमर शहीद चामू उरांव की प्रतिमा स्थापित करने में मंत्री चमरा लिंडा व जिला प्रशासन ने काफी सहयोग किया. उन्होंने भूतपूर्व सैनिकों की ओर से मंत्री व प्रशासन का आभार व्यक्त किया.

ऐसा लग रहा कि चाचा फिर से गांव आ गये : बिनोद उरांव

शहीद चामू उरांव के भतीजा बिनोद उरांव ने खुशी की बात है कि पैतृक गांव में चाचा अमर शहीद चामू उरांव का प्रतिमा लगायी गयी है. यह गर्व व सम्मान की बात है. उन्होंने कहा कि आज भले ही चाचा चामू उरांव हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन गांव में लगी प्रतिमा के माद्यम से वे हमेशा हमारे दिल और गांव में रहेंगे. कहा कि प्रतिमा लगने के बाद ऐसा लग रहा है कि चाचा फिर से गांव आ गये हैं.

शहीद चामू उरांव सभी के प्रेरणास्रोत : एनडीसी

एनडीसी ललन रजक ने कहा कि शहीद चामू उरांव सभी के प्रेरणास्रोत हैं. उनके शहादत दिवस पर उनके अपने ही गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित कर अनावरण किया गया है. जिला प्रशासन जिले के शहीदों को सम्मान के साथ शहीदों के आश्रितों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्रयासरत है. उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित के मार्गदर्शन में जिले के शहीदों के आश्रितों की हर समस्याओं का समाधान किया जा रहा है.

गुमनाम थे शहीद चामू उरांव, अब सब जानेंगे

प्रभात खबर ने चार साल पहले शहीद चामू उरांव के घर को खोज कर निकाला था. इससे पूर्व तक शहीद चामू उरांव गुमनाम थे. प्रभात खबर ने शहीद की पूरी कहानी अखबार में प्रकाशित की, जिसका असर है कि अब जाकर गुमनाम शहीद को पहचान मिल गयी है. गांव में प्रतिमा लगने से अब सभी लोग शहीद को जानेंगे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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