रायडीह. महासदाशिव मंदिर मरदा का सातवां वार्षिकोत्सव का समापन सोमवार को हुआ. दो दिनी समारोह का आयोजन अपनी भव्यता व विशालता के कारण कई मायनों में अनोखा व अभूतपूर्व था. महासदाशिव मंदिर मरदा के मुख्य संरक्षक अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि इस बार एक मार्च को निकली भव्य व आकर्षक कलश यात्रा की विशेषता यह थी कि जहां एक ओर कानपुर के कलाकारों की आकर्षक झांकी थी, जिसमें भगवान शिव की सजीव लीला दिखायी जा रही थी. इसमें शिव के गले में विशालकाय जिंदा लिपटा हुआ अजगर और अन्य सर्प की माला झांकी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था. दूसरी ओर यात्रा में सुप्रसिद्ध लोकगायक नर्तक हुलास महतो के दल का नटुआ, पाइका विद्या का नृत्य सबका मन अनायास ही मोह रहा था. नवागढ़ दुर्गा मंदिर से महासदाशिव मंदिर तक की लगभग चार किमी का क्षेत्र हर हर महादेव, जय श्रीराम के नारों से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान था. लोग भक्ति रस में सराबोर थे. श्रद्धालु अलौकिक आनंद की अनुभूति कर रहे थे. इस वर्ष का अखंड हरिकीर्तन भी अनोखा रहा. इस बार के कीर्तन की विशेषता यह रही कि मंडली या भक्तों में महिलाओं की संख्या अधिक थी. जहां छह मंडलियों को आमंत्रित किया गया था. वहीं विभिन्न गांवों से इस बार 12 मंडलियां स्वत: भाग लेने आ पहुंची थी, जो सनातन धर्म के पुनर्जागरण की चेतना का बोध करती थी. अखंड हरिकीर्तन का समापन मंदिर प्रांगण में भक्तिमय वातावरण में अलौकिक आनंद उत्साह की पराकाष्ठा के साथ हुआ. बनारस की गंगा आरती की तर्ज पर पीयूष पाठक के नेतृत्व में रांची के पांच कलाकारों ने मुख्य मंच पर ऐसी आरती प्रस्तुत की, जिसे दर्शकों को साक्षात मां गंगा के समीप होने की अनुभूति होने लगी. इस बार आरती के साथ डमरू वादन का भी कार्यक्रम हुआ. जिन्होंने बनारस घाट की आरती देखी है, वे भी इस आरती की प्रस्तुति को कमतर नहीं आंक सकते. दिन में मेला लगा था, जिसमें झूला समेत कई प्रकार के मनोरंजन के खेल थे. मीना बाजार भी लगा था. नागपुरी गीत, संगीत व नृत्य के रंगारंग कार्यक्रम हुए. कार्यक्रम का श्रीगणेश दीप ज्वलन के साथ महावीर साहू के बाबा भोलेनाथ की स्तुति से हुआ. आगे रैंप भी बना हुआ था, जिसमें कलाकारों को दर्शकों के नजदीक पहुंचने व दर्शकों को कलाकारों को निकट से देखने का मौका मिला. ओड़िशा से पधारी उर्मिला महंतो की टीम की कला प्रस्तुति में जहां पौराणिक, धार्मिक, सांस्कृतिक व पारंपरिक नाट्य कला शैली की छाप परिलक्षित होती थी. रजनी, केशव देवी, रूपेश बड़ाइक आदि कलाकारों ने ठेठ नागपुरी विधाओं जैसे, मर्दाना झूमर, गोलवारी, डोमकच, अंगनाई, फगुआ, बंगला आदि विधाओं की प्रस्तुति की. कुमारी खुशी ने अपने नाट्य नृत्य कला से सबका मन मोह लिया. मौके पर अध्यक्ष विज्ञान सिंह, सचिव जगदीश सिंह, शिव व्रत सिंह, शंकर पांडेय, जग नारायण सिंह, आकाश सिंह, संजय सिंह थानेदार कुंदन कुमार सिंह, संजय सिंह ने सभी कलाकारों को मंदिर प्रबंधन की ओर से स्मृति चिह्न भेंट किया गया और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया.
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