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Friday, March 29, 2024

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Jharkhand News : आज भी आदिम युग में जीने को विवश हैं झारखंड के गुमला में असुर जनजाति समुदाय के लोग, पढ़िए क्या जमीनी हकीकत

Jharkhand News, Gumla News, गुमला न्यूज (जगरनाथ) : झारखंड के गुमला जिले के घाघरा प्रखंड की दीरगांव पंचायत में सनइटांगर गांव है. यह गांव गुमला से 60 किमी दूर है. चारों ओर जंगल व पहाड़ है. इस गांव में विलुप्तप्राय असुर जनजाति के लोग निवास करते हैं, लेकिन यह गांव आज भी सरकार की नजरों से ओझल है. यही वजह है कि गांव में सरकारी सुविधाएं नाममात्र की हैं. आज भी ये आदिम युग में जीने को विवश हैं.

Jharkhand News, Gumla News, गुमला न्यूज (जगरनाथ) : झारखंड के गुमला जिले के घाघरा प्रखंड की दीरगांव पंचायत में सनइटांगर गांव है. यह गांव गुमला से 60 किमी दूर है. चारों ओर जंगल व पहाड़ है. इस गांव में विलुप्तप्राय असुर जनजाति के लोग निवास करते हैं, लेकिन यह गांव आज भी सरकार की नजरों से ओझल है. यही वजह है कि गांव में सरकारी सुविधाएं नाममात्र की हैं. आज भी ये आदिम युग में जीने को विवश हैं.

हाइटेक युग में भी गुमला जिले के घाघरा प्रखंड की दीरगांव पंचायत के सनइटांगर गांव में बिजली नहीं है. पोल व तार नहीं लगा है. आज भी लोग ढिबरी युग में जी रहे हैं. बिजली नहीं रहने के कारण शाम होते ही ग्रामीण घर में दुबक जाते हैं. बिजली नहीं रहने के कारण बच्चे शाम को पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. जंगली सड़क से होकर लोग गांव जाते हैं. गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं है. बीमार होने पर जड़ी बूटी से इलाज करते हैं. इस गांव में 47 घर हैं, जिनमें 44 घर असुर जनजाति का है, जबकि तीन परिवार उरांव जाति के हैं.

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गुमला जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है. जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के तहत हर घर में शौचालय है, परंतु सनइटांगर गांव की हकीकत कुछ और है. यहां किसी के घर में शौचालय नहीं है. लोग खुले स्थान में शौच करने जाते हैं. यहां तक कि महिलाएं व युवतियां भी खुले में शौच करने पर विवश हैं.

सनइटांगर गांव व आसपास के गांवों में कहीं रोजगार के साधन नहीं हैं. न ही मनरेगा से कोई काम संचालित है. इस कारण गांव के जितने भी युवक व युवतियां हैं. वे काम के लिए दूसरे राज्यों में पलायन कर गये हैं. सनइटांगर गांव में उत्क्रमित मध्य विद्यालय है. फिलहाल में स्कूल में 47 बच्चे हैं. इस स्कूल में वर्ग एक से पांच तक पढ़ाई होती है, हालांकि यहां आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होनी थी, परंतु टीचर की कमी के कारण पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई होती है. इसके बाद बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं.

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गांव के संतोष असुर, चमरू असुर, सुरेश असुर, जादव असुर, बसुता असुर, जयराम असुर, निकोलस असुर, विनय असुर, एतवा असुर, भगवत असुर, झागर असुर, रूसुव असुर, मधु असुर, भटटी असुर, सोमरा असुर, रूपू असुर, मुकेश असुर, एतार असुर, मंगरी असुर, तरसिला असुर, सविता असुर, लाली असुर, शीला उरांव, सोमारी असुर ने कहा कि गांव की समस्याओं को दूर करने के लिए कई बार प्रशासन से मिले. लिखित आवेदन सौंपा. इसके बाद भी समस्या दूर नहीं हुई. बरसात के समय कच्ची सड़क पर गड्ढा हो जाता है. इसलिए बरसात खत्म होते ही हर साल कच्ची सड़क की मरम्मत करते हैं. इनका कहना है कि हमारे गांव की तरफ न तो जिला प्रशासन और न ही सरकार की नजर है.

उपमुखिया अजीत असुर ने कहा कि गांव की समस्याओं को लेकर कई बार प्रखंड व जिला प्रशासन को अवगत कराया. लिखित आवेदन सौंपा. गांव तक न बिजली पहुंची, न शौचालय बना.

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स्कूल के प्रधानाध्यापक आनंद कुमार पन्ना कहते हैं कि गांव की सड़क खराब है. आने जाने में बहुत परेशानी होती है. खासकर बरसात के दिन में स्कूल आने-जाने में दिक्कत होती है. हर साल ग्रामीण श्रमदान करते हैं.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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