Jharkhand Foundation Day: झारखंड राज्य ऐतिहासिक कहानियों से भरा पड़ा है. यहां की मिट्टी सैकड़ों सालों का इतिहास बयां करती है. जैसे-जैसे आप इसकी मिट्टी में रमते चले जाते हैं, यहां की कहानियां आपको रोमांचित करती हैं. झारखंड राज्य को बने 22 साल हो गए हैं. इस अवसर पर आज हम आपको ऐसे विश्व धरोहर से रूबरू करा रहे हैं, जिसकी कहानियां आपको दो सौ सालों का इतिहास बताएंगी. यह विश्व धरोहर है गुमला जिले का नवरत्नगढ़.

नागवंशी राजाओं ने यहां से 250 सालों तक किया शासन
नवरत्न गढ़, जिसे डोइसागढ़ भी कहते हैं. यह विश्व धरोहर है. रांची व गुमला मार्ग पर स्थित सिसई प्रखंड के नगर गांव में हैं. यह गांव अपने अंदर ऐतिहासिक धरोहर नवरत्न गढ़ को समेटे हुए है. इसका नाम वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है. यहां ढाई सौ साल तक नागवंशी राजाओं का शासन रहा है. आज जरूर भवन खंडहर हो गया. परंतु मुगल साम्राज्य के समय बने नवरत्नगढ़ कई कहानी बयां करती है. हालांकि अभी नवरत्नगढ़ की खुदाई हो रही है. जमीन के अंदर राजा दुर्जन शाह के समय बने कई खुफिया भवन मिला है. अभी भी यहां से कई रहस्यों से और पर्दा उठने की उम्मीद है.

राजा दुर्जन शाह की राजधानी थी नवरत्नगढ़
मुगल साम्राज्य से बचने के लिए राजा दुर्जन शाह ने नवरत्नगढ़ की स्थापना किये थे. ढाई सौ साल पहले नवरत्न गढ़ के चारों तरफ खाई था और यहां घुसने का एक मात्रा रास्ता हुआ करता था. इसलिए राजा दुर्जन शाह ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इसे अपनी राजधानी बनायी. लेकिन कलांतार में समय बदला. कई भवन जमींदोज हो गये. कुछ भवन अभी भी शेष हैं. खाई समय के साथ खत्म हो गया और वह समतल जमीन का रूप ले लिया है.

खुदाई से खुफिया भवन मिला है
पुरातत्व विभाग रांची द्वारा नवरत्नगढ़ की खुदाई जारी है. जमीन के अंदर खुफिया भवन मिला है. रानी लुकईर व कमल साहित्य मंदिर की मरम्मत की जा रही है. रानी तालाब के अंदर भी कुछ रहस्य मिलने की उम्मीद है. करीब 1751 से 1789 ईस्वी के बीच नवरत्नगढ़ की स्थापना की गयी थी. राजा दुर्जन शाह के बाद अन्य पांच नागवंशी राजा हुए जो नवरत्नगढ़ में रहे. करीब ढाई सौ साल तक नवरत्नगढ़ में नागवंशी राजा का शासन रहा.

डोइसागढ़ में क्या देंखे
नवरत्न गढ़ में अभी भी पांच मंजिला वर्गाकार इमारत, 33 इंच मोटी दीवार, रानी वास, कचहरी घर, कमल सरोवर, रानी लुकईयर का भुलभुलैया, गुप्त कमरा, गुबंद का भीतरी भाग में पशु चित्र, घोड़ा, सिंहों से उत्कीर्ण परिपूर्ण आकृति, चारों कोनों पर शीर्ष गुबंदनुमा स्तंभों पर बड़े बड़े नाग लिपटे, जगन्नाथ मंदिर, भैरव मंदिर, कपिलनाथ मंदिर, मंदिर के गर्भगृह में बड़े आकार की मूर्ति, धोबी मठ, दीवारों पर मनोहारी चित्रकारी है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला