सिसई. शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले… जैसी पंक्तियां शहीदों को सम्मान देने का वादा करती हैं, लेकिन प्रखंड मुख्यालय स्थित करगिल शहीद हवलदार बिरसा उरांव पार्क व शहीद स्मारक की दुर्दशा इन पंक्तियों को झुठला रही है. करीब दो वर्ष पूर्व लाखों रुपये खर्च कर बनाये गये शहीद पार्क का उद्देश्य था कि लोग शहीदों के बलिदान को याद करें और पार्क में शांति के पल बितायें. मगर आज यह जगह प्रशासनिक उपेक्षा का प्रतीक बन चुका है.
उदघाटन के बाद से ही बंद है पार्क का गेट
उदघाटन के बाद से ही पार्क के गेट में ताला लगा है, जो अब तक नहीं खुला. नतीजा यह है कि पूरा परिसर वीरान पड़ा है. पार्क में झाड़ियां उग आयी हैं. बैठने के लिए बने बेंच और रास्ते घास में दब गये हैं. चारों ओर गंदगी फैली है, फूल-पौधे सूख चुके हैं और शहीद का स्मारक खुद अपनी उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है.
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बेरुखी पर सवाल
पार्क की इस हालत पर न तो किसी अधिकारी की नजर गयी है और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने रुचि दिखायी है. यह स्थिति 15 अगस्त जैसे राष्ट्रीय पर्व के करीब आते वक्त और अधिक पीड़ादायक बन जाती है. झारखंड आंदोलनकारी मनोज वर्मा और सुनील साहू ने इस उपेक्षा को शहीद और उनके परिजनों का अपमान बताया है. उन्होंने कहा कि देश जब 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, ऐसे समय में देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले वीर सपूतों को भुला देना शर्मनाक है.
पार्क का ताला खुलवा साफ-सफाई कर कराया जाये झंडोत्तोलन
आंदोलनकारियों ने प्रशासन से मांग की है कि शहीद बिरसा उरांव पार्क की तत्काल सफाई करायी जाये. जिसमें शेड का निर्माण कराया जाये और पार्क का गेट आमजनों के लिए खोला जाये. उन्होंने आग्रह किया है कि स्वतंत्रता दिवस पर पार्क में झंडोत्तोलन कराया जाये, ताकि शहीदों का सम्मान हो और परिजन भी गर्व का अनुभव कर सकें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

