चैनपुर. अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में शुमार गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड अंतर्गत मालम पंचायत के किसान डीएपी यूरिया की कमी का दंश झेलने को विवश हैं. क्षेत्र में काफी संख्या में किसानों खेती-बारी की है. इसमें कई किसान ऐसे भी हैं, जो प्रेरित होकर खेतों में मकई (मक्का) की खेती की हैं. मकई के पौधे-पौधे बड़े हो गये हैं, लेकिन यूरिया का छिड़काव नहीं होने से पौधे में फल नहीं आ रहे हैं. हालांकि जिन किसानों ने फसलों में यूरिया का छिड़काव किया है. उनके पौधों में फल तैयार हो रहे हैं. लेकिन जिन किसानों को यूरिया नहीं मिली, वे छिड़काव नहीं कर पाये हैं. इसका सीधा प्रभाव फसल पर पड़ रहा है, जिससे किसान काफी चिंतित हैं. मालम के किसान डेविड बाड़ा ने अपनी 10 एकड़ भूमि पर मकई की खेती की है. तिगावल में मनोज तुरी ने अपने व रिश्तेदारों के करीब सात एकड़ भूमि पर मकई की खेती की है. सतीश उरांव ने अपने करीब पांच एकड़ भूमि पर मकई की खेती की है. साथ ही अन्य किसानों की फसलों में फल आ रहा है. लेकिन ये और उनके जैसे अनेकों किसान यूरिया की कमी का दंश झेल रहे हैं. किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र में लोग बाहर से आते हैं. जमीन लीज पर लेते हैं और खेती-बारी कर लाखों रुपये कमाते हैं. उनकी तरह ही हमने भी अपने खेतों में मकई लगायी. मकई के पौधे बड़े-बड़े हो गये हैं. लेकिन उसमें फल नहीं आ रही है. किसानों ने बताया कि उनलोगों को यूरिया नहीं मिल रही है. क्षेत्र में यूरिया की कमी है. बीज-खाद दुकान जाने पर वहां यूरिया नहीं होने की बात कही जाती है. फसलों में यूरिया का छिड़काव नहीं होने से फल नहीं आ पा रहे हैं. जिन किसानों ने फसलों में यूरिया का छिड़काव किया. उनके पौधों में फल ही फल है. किसानों ने कहा कि फल नहीं आने पर सीधे तौर पर नुकसान होगा.
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