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सूखी नदी से बुझ रही है प्यास
गुमला शहर को मिल रहा है पानी दो लाख गैलन दुर्जय पासवान गुमला : बढ़ती गरमी के साथ गुमला शहर में पेयजल की किल्लत होने लगी है. पानी के लिए लोग भटक रहे हैं. विभाग के लिए भी पानी की व्यवस्था करना चुनौती बना हुआ है. पेयजल विभाग हर रोज नागफेनी नदी खोद कर पानी […]
गुमला शहर को मिल रहा है पानी दो लाख गैलन
दुर्जय पासवान
गुमला : बढ़ती गरमी के साथ गुमला शहर में पेयजल की किल्लत होने लगी है. पानी के लिए लोग भटक रहे हैं. विभाग के लिए भी पानी की व्यवस्था करना चुनौती बना हुआ है. पेयजल विभाग हर रोज नागफेनी नदी खोद कर पानी जमा कर रहा है.
उसी पानी से गुमला शहर की 50 हजार आबादी की प्यास बुझ रही है. हालांकि नागफेनी नदी पूरी तरह सूख गयी है. लेकिन नदी में पांच-छह फीट बालू खोदने के बाद पानी निकल रहा है. उसी पानी को विभाग शहरी क्षेत्र में सप्लाई कर रहा है. गुमला में जल संकट की जो स्थिति है, अगर नागफेनी नदी से सप्लाई पानी मिलना बंद हुआ, तो गुमला के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरसेंगे. गुमला शहर से चार किमी दूर स्थित खटवा जलापूर्ति केंद्र पहले से ठप है.
इधर, नागफेनी सप्लाई केंद्र की स्थिति भी ठीक नहीं है. नागफेनी नदी में सिर्फ बालू नजर आ रहा है. कहीं कुछ पानी जमा है, तो वह उपयोग के लायक नहीं है. नागफेनी नदी के जिस स्थान पर जलापूर्ति केंद्र है, वहां पांच-छह फीट पानी नदी के नीचे तक सूख चुका है. नदी में कुआं बनाया गया है, उसमें मात्र एक फीट पानी बचा है. उस कुआं के चारों ओर पेयजल विभाग द्वारा पांच-छह फीट गड्ढा खोदा गया है, ताकि गड्ढा में पानी जमा होने के बाद उसे कुआं में स्टोर किया जा सके.
10 लाख गैलन पानी की है जरूरत
जलमीनार में एक लाख गैलन पानी स्टोर करने की क्षमता है, जबकि गुमला को बढ़ती आबादी के अनुसार 10 लाख गैलन पानी की जरूरत है. गुमला में अभी दो जलमीनार चालू स्थिति में है. इसमें दो लाख गैलन पानी स्टोरेज की क्षमता है.
लाइफ लाइन नदियां सूखी
दक्षिणी कोयल नदी : यह नागफेनी गांव से होकर बहती है. पूरी नदी सूख गयी है. नदी का पानी पांच से छह फीट नीचे तक सूखा है. बगल के गांव के लोगों को पानी के लिए दिक्कत हो रही है. नदी में ही पांच से छह फीट गहरा चुआं खोद कर ग्रामीण पानी निकाल रहे हैं.
शंख नदी : यह चैनपुर प्रखंड से होते हुए रायडीह प्रखंड के मांझाटोली गांव से होकर बहती है. नदी पूरी तरह सूख गयी है. कहीं कहीं थोड़ा पानी है. नदी किनारे जो गांव है, वहां के लोग गरमी के दिनों में नदी से ही प्यास बुझाते थे, लेकिन इसबार भयावह स्थिति है. शंख नदी का जल स्तर तीन से चार फीट नीचे चला गया है.
खटवा नदी : गुमला शहर से पांच किमी दूर कांसीटोली गांव से होकर खटवा नदी बहती है. नदी का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है. खनन विभाग से मिल कर ठेकेदारों ने नदी का काफी बालू निकाल लिया, जिससे नदी में घास उग आयी है. मिट्टी जमा हो गयी है, जिस कारण पानी का ठहराव नहीं हो रहा है. नदी में जहां-तहां कुछ पानी पानी है.
कार्यपालक अभियंता की सुनिये
पेयजल विभाग गुमला के कार्यपालक अभियंता त्रिभुवन बैठा ने कहा कि नागफेनी नदी पूरी तरह सूख गयी है. जिस स्थान पर कुआं बना है, उसके चारों ओर पांच-छह फीट गड्ढा खोद कर पानी जमा किया जा रहा है. इसके बाद उस पानी काे गुमला में सप्लाई किया जा रहा है. विभाग प्रयास कर रहा है कि गुमला में जल संकट गहराने न दें. एक कुआं, जिसमें बालू भर गया है, उसकी सफाई करायी जायेगी.
गुमला की अन्य नदियां जो सूखी : लावा नदी, बासा नदी, बहरी नदी, पुग्गू नदी, तोरपा नदी, देवाकी नदी, नेम्हा नदी, पारस नदी, पिंजराडीपा नदी व मिलमिली नदी पूरी तरह सूख गयी है. ये सभी नदियां गुमला की लाइफ लाइन हैं, लेकिन इस गरमी में सभी नदियां रेगिस्तान नजर आ रही है.
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