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::::: लोक संस्कृति को बचाने के लिए रास मंडली बनाया

::::: लोक संस्कृति को बचाने के लिए रास मंडली बनाया युवक युवतियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहाआज के युवा पीढ़ी लोक संस्कृति को बचाने में जुटे18 गुम 1 में इसी भवन में प्रशिक्षण चलता है18 गुम 2 में राम उचित सिंह राकेशप्रतिनिधि, गुमलागुमला प्रखंड से 20 किमी दूर कोटाम गांव में विलुप्त हो रही […]

::::: लोक संस्कृति को बचाने के लिए रास मंडली बनाया युवक युवतियों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहाआज के युवा पीढ़ी लोक संस्कृति को बचाने में जुटे18 गुम 1 में इसी भवन में प्रशिक्षण चलता है18 गुम 2 में राम उचित सिंह राकेशप्रतिनिधि, गुमलागुमला प्रखंड से 20 किमी दूर कोटाम गांव में विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को बचाने की एक मुहिम शुरू हुई है. इस में युवा पीढ़ी जुड़े हैं और इन्हें मार्गदर्शन दे रहे हैं, नागपुरी लेखक राम उचित सिंह उर्फ राकेश. नक्सलियों के गढ़ कोटाम में रास मंडली नागपुरी सांस्कृतिक कला मंच का गठन किया गया है. जहां 30 युवक-युवतियों को नि:शुल्क वाद्य यंत्र व नागपुरी गीत का प्रशिक्षण दिया जाता है. राम उचित सिंह सभी को प्रशिक्षित कर रहे हैं. श्री सिंह का कहना है कि हमारी प्राचीन लोक संस्कृति पर आधुनिकता हावी होती जा रहा है. इससे युवाओं की सोच भी गलत राह पर जा रही है. इसलिए लोक संस्कृति को बचाने के लिए रास मंडली का गठन किया गया है. जिससे आज के युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को बचा सकें.शनिवार को प्रशिक्षण दिया जाता है21 फरवरी 15 को रास मंडली का गठन किया गया. इसका केंद्र कोटाम गांव को बनाया गया है. यहां हर शनिवार को युवक-युवतियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि लोक संस्कृति पर आधारिक गीत व वाद्य यंत्र की आवाज से कोटाम का माहौल खुशनुमा होता जा रहा है.कवि सम्राट व गुमला रत्न मिला हैकोटाम निवासी राम उचित सिंह को कई पुरस्कार मिला है. नागपुरी के क्षेत्र में उनका नाम राकेश पड़ा. उन्होंने नागपुरी भाषा में कई पुस्तक भी लिखे हैं. 1981 में नागपुरी गीत माला, 1982 में धोवई फूल, 1983 में मंजर, 2015 में नागपुरी लय राग मंजरी पुस्तक लिखे हैं. 1983 से 2003 में रेडियो व दूरदर्शन पर गीत गाये हैं. 2001 में गुमला रत्न, 23 दिसंबर 1987 को राजीव गांधी, सदाकत आश्रम पटना में कृषि पदक, 2011 में राउरकेला में कवि सम्राट के अलावा कई सम्मान प्राप्त किये हैं.

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