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सुबह से ही होने लगी थी फायरिंग
मुठभेड़ स्थल से दुजर्य पासवान गुमला : सीआरपीएफ कोबरा के जवान व जिला पुलिस बल लगातार नक्सलियों पर भारी पड़ रहा है. माओवादी दबाव में आ गये हैं. यही वजह है कि पुलिस ने अब-तक तीन बार माओवादी को नुकसान पहुंचा चुकी है. जिस रणनीति से पुलिस अभियान चला रही है, इस बार माओवादियों को […]
मुठभेड़ स्थल से दुजर्य पासवान
गुमला : सीआरपीएफ कोबरा के जवान व जिला पुलिस बल लगातार नक्सलियों पर भारी पड़ रहा है. माओवादी दबाव में आ गये हैं. यही वजह है कि पुलिस ने अब-तक तीन बार माओवादी को नुकसान पहुंचा चुकी है. जिस रणनीति से पुलिस अभियान चला रही है, इस बार माओवादियों को भारी नुकसान होने की संभावना है. यहां बता दें कि शुक्रवार की सुबह सात बजे जैसे ही सरगांव जंगल में गोली चलने की आवाज आयी, पूरा गांव खाली हो गया. ग्रामीणों ने स्कूल भवन के समीप शरण ले ली.
गांव के पूरन ने बताया कि गोली की आवाज चली, तो ऐसा लग रहा था कि दीपावली का बम फूट रहा है. डर से बच्चों के साथ स्कूल में शरण ले ली. गांव की महिलाओं ने कहा कि एक बड़ा बम फूटा, तो धुआं निकलने लगा. उस समय तो डर गये थे. गोली गांव तक आ रही थी. हेठजोरी गांव की सेविका रेखा किंडो ने बताया कि मुठभेड़ सरगांव जंगल में हो रही थी, लेकिन पांच किमी दूर हेठजोरी में भी गोली की आवाज सुनायी पड़ रही थी. घटना स्थल से मिली जानकारी के अनुसार सरगांव जंगल के बगल में जैरागी, चांदगो, सरगांव, हेठजोरी, सिविल, हेठजोरी गांव पड़ता है. इन सभी गांव के लोग मुठभेड़ से दहशत में थे. पांच घंटे तक लोग घरों में दुबके थे. कुछ लोगों ने स्कूल में शरण ले ली थी. पुलिस भी ग्रामीणों को सुरक्षा की ख्याल से सुरक्षित स्थान पर रहने की सलाह दी.
अरविंद को निकलने का मौका नहीं मिल रहा है
माओवादी के शीर्ष नेता अरविंद सिंह 20 दिनों से घिरा हुआ है. पुलिस उसे चैनपुर व बिशुनपुर से निकालने का मौका नहीं दे रही है. इससे पहले भी वर्ष 2013 के मार्च माह में अरविंद को पुलिस ने सिविल में घेरा था. गुमला में जब भी अरविंद आया है, पुलिस ने उसे घेरा है. ऐसे हर बार वह बचता रहा है. लेकिन इस बार पुलिस उसे निकलने देने के मूड में नहीं है. यहां बता दें कि 19 फरवरी को चापीपाट व 28 फरवरी को लुपुंगपाट में हुई मुठभेड़ के बाद लगा था कि अरविंद निकल जायेगा, लेकिन वह इसी क्षेत्र में घिरा हुआ है.
आगे गोली चल रही है, मत जाइये
उबड़- खाबड़ चढ़ान सड़क व जंगलों से होकर सुबह 10 बजे सबसे पहले हेठजोरी गांव पहुंचे. यहां ग्रामीणों ने कहा कि आगे गोली चल रही है. मत जाइये. कुछ देर तक गांव में ही रुके. इसके बाद आगे बढ़े. रास्ते में पता चला कि पुलिस से डर कर जैरागी चांदगो गांव की ओर से माओवादी भाग रहे हैं.
जैरागी पहुंचने पर पहाड़ पर माओवादी दिखे. गांव के लोग भी देख रहे थे. गोली की आवाज सुन रहे थे. ग्रामीण डरे हुए भी थे. गोली लगने के डर से पत्रकार पहाड़ तक नहीं सटे. 11 बजे सरगांव पहुंचे. जंगल के पास पहुंचते ही कोबरा के 16 जवान पहाड़ से उतर रहे थे. जवानों ने बताया कि कुछ माओवादी डर कर भाग रहे हैं. उन्हीं का पीछा कर रहे हैं. जवानों ने यह भी बताया कि पहाड़ में एक माओवादी मरा पड़ा है. उसमें बम प्लांट है. बम को निष्क्रिय किया जा रहा है. आप पत्रकार आगे न बढं़े. कुछ भी हो सकता है. अंत में कोबरा के जवानों ने पत्रकारों को एक घंटे तक अपनी सुरक्षा में रख कर जंगल का सर्च ऑपरेशन चलाया.
सरगांव में रात को माओवादी रुके थे
बताया जा रहा है कि सरगांव में गुरुवार की रात को माओवादी रुके हुए थे. गांव में ही खाना- पीना किया था. इसके बाद सुबह को जब माओवादियों को सूचना मिली कि पुलिस गांव आ रही है, तो माओवादी पहाड़ के जंगल में चले गये. लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गयी और घेराबंदी शुरू कर दी. पुलिस को देख माओवादियों ने फायरिंग कर दी. पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, तो दिन के नौ बजे कुछ माओवादियों को गोली लगी. इसमें एक शव पुलिस ने बरामद किया है.
डर से शिक्षक नहीं आये, स्कूल बंद रहा
मुठभेड़ की सूचना व अंधाधुंध गोलीबारी की सूचना के बाद हेठजोरी, सरगांव, जैरागी व आसपास गांव के स्कूल के शिक्षक नहीं पहुंचे. इस कारण स्कूल बंद रहा. ऐसे दस बजे के बाद रुक- रुक कर गोली चलने के दौरान कुछ बच्चे स्कूल पहुंचे थे. पर टीचर के नहीं आने के कारण वापस लौट गये. छात्र अमिता कुमारी, वीरेंद्र गोप, करिश्मा कुमारी, सुमन कुमारी व वीणा कुमारी ने कहा कि गोली चलने से हम भी डरे हुए हैं. इसके बाद भी स्कूल आये. लेकिन शिक्षक नहीं आये.
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