बसंत साहू
देवरागानी के समीप सीआरपीएफ व गुमला पुलिस के अधिकारी थे. पीछे बिशुनपुर के थानेदार थे. पत्रकारों को देख अधिकारी सुनसान जगह पर रूक गये. इसके बाद आगे नहीं जाने का दिशा निर्देश देने लगे. जब मुठभेड़ की जानकारी ली गयी, तो किसी के पास सही जानकारी नहीं थी. इससे स्पष्ट है कि अधिकारी दो दिनों से मुठभेड़ में शामिल नहीं है. बल्कि कोबरा के जवान जंगल में नक्सलियों से लड़ रहे हैं. एएसपी पवन कुमार सिंह से मुठभेड़ के संबंध में जानकारी लेने पर उन्होंने गोल-मटोल जवाब दिये. उन्होंने कहा कि नक्सलियों को नुकसान पहुंचा है. कितने लोग मरे. इसका पता नहीं चला है. अभी जंगल में मुठभेड़ के साथ सर्च ऑपरेशन भी चल रहा है.
जेजेएमपी, माओवादी, टीपीसी व झांगूर के खिलाफ अभियान है : एएसपी : मुठभेड़ को लेकर तरह-तरह की अफवाह उड़ते रही है. कोई कह रहा कि दस माओवादी मारे गये हैं. पुलिस ने शव बरामद कर लिया है, तो कुछ कह रहे हैं कि छह लोगों का शव जंगल में दिखा है. इसमें मारे गये लोगों में जेजेएमपी व माओवादी दोनों के सदस्य हैं. परंतु पुलिस इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है. जेजेएमपी के भी मुठभेड़ में होने की सूचना पर एएसपी ने कहा कि पुलिस इस क्षेत्र में सक्रिय सभी नक्सली व अपराधी गिरोह के खिलाफ अभियान चला रही है. इसमें भाकपा माओवादी, जेजेएमपी, टीपीसी व झांगुर गुट के रामदेव गिरोह के खिलाफ अभियान है. इसी अभियान के दौरान माओवादी के शीर्ष नेता अरविंद सिंह के दस्ते के साथ मुठभेड़ हुआ है.