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जिले में 249 एड्स पीड़ित, पांच की हो चुकी है मौत

आज एड्स दिवस है. ऐसे में गुमला में एड्स मरीज है या नहीं. इसकी जानकारी सभी को रखनी चाहिए. इसलिए, आज हम गुमला में एड्स मरीजों की संख्या व स्थिति पर जानकारी दे रहे हैं.

गुमला. आज एड्स दिवस है. ऐसे में गुमला में एड्स मरीज है या नहीं. इसकी जानकारी सभी को रखनी चाहिए. इसलिए, आज हम गुमला में एड्स मरीजों की संख्या व स्थिति पर जानकारी दे रहे हैं. परंतु, इसमें सभी मरीजों का नाम, पहचान व पता को गुप्त रखा गया है. गुमला सदर अस्पताल में संचालित परामर्श केंद्र से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार गुमला जिले में 249 महिला, पुरुष व बच्चे एड्स (एचआइवी) से पीड़ित है. इसमें सभी को एआरटी की दवा दी जा रही है. सभी एड्स पीड़ित सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. खुश-खबरी यह है कि पांच गर्भवती महिलाएं जो एड्स से पीड़ित हैं, वे हाल में ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है. मां को जरूर एड्स है. परंतु, बच्चे स्वस्थ हैं. उनमें किसी प्रकार की बीमारी नहीं है. परामर्श केंद्र के परामर्शदातृ युगांत कुमार दूबे ने बताया कि 18 सालों में एक लाख 43 हजार 513 लोगों ने एचआइवी की जांच कराया. जिसमें 253 एड्स पीड़ित मिले हैं. इसमें 22 लोगों की मौत हो चुकी है. फिलहाल में गुमला जिले में 249 लोगों एड्स से पीड़ित हैं. इसमें एड्स पीड़ित पुरुष 119 व महिला 116 है. जबकि 14 बच्चे भी एड्स से पीड़ित हैं. इन सभी का नियमित दवा चल रहा है. ये

दूसरे जिले के मरीज गुमला से दवा ले रहे हैं

जानकारी के अनुसार जिले के 249 में से 169 मरीजों को गुमला सदर अस्पताल स्थित एआरटी केंद्र से दवा दी जा रही है. जबकि अन्य मरीज रांची व अन्य दूसरे जिले के अस्पताल से दवा खा रहे हैं. अच्छी खबर यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर जिला के नौ, लातेहार जिला के तीन, लोहरदगा जिला के नौ व सिमडेगा जिला के 24 एड्स पीड़ित गुमला के एआरटी केंद्र से दवा ले रहे हैं. वहीं गुमला जिला के 69 एड्स पीड़ित रांची रिम्स या दूसरे शहरों से दवा लेकर खा रहे हैं.

यहां जांच की सुविधा है

गुमला जिले के सभी 11 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एचआइवी की जांच की सुविधा है. इसके अलावा जिले के सभी 1600 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में भी गर्भवती महिलाओं की एचआइवी की जांच की व्यवस्था करायी गयी है. 11 सीएचसी व 1600 आंगनबाड़ी केंद्रों में जांच के बाद अंतिम में गुमला सदर अस्पताल में एचआइवी की जांच होती है. आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए व्यवस्था करने का मकसद कि उन्हें अस्पताल का चक्कर काटना न पड़े. साथ ही आसानी से जांच भी हो सके.

जांच की संख्या बढ़ रही है

गुमला जिले में शुरू में लोग एचआइवी की जांच कराने से कतराते थे. परंतु, धीरे धीरे जांच की संख्या बढ़ी है. उदाहरण स्वरूप देखा जाये तो 2006 में मात्र 243 लोगों ने ही एचआइवी की जांच करायी थी. परंतु, अब हर साल जांच की संख्या बढ़ रही है. 2023 के नवंबर माह तक में 9444 लोगों ने जांच कराया है.

एड्स पीड़ितों को ये लाभ मिल रहा है

डीएस डॉ अनुपम किशोर ने बताया कि एड्स पीड़ित मरीजों को हर संभव सरकारी योजनाओं से जोड़कर उनकी मदद की जा रही है. 176 मरीजों को पेंशन योजना से जोड़कर पेंशन दिया जा रहा है. अन्य कई मरीजों को भी पेंशन योजना से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है. 153 मरीजों का आयुष्मान कार्ड बनाया गया है. दो दर्जन से अधिक लोगों को पीएम आवास योजना का लाभ दिया गया है. कई लोगों को बैंक से इंश्योरेंस स्कीम का लाभ दिया गया है. 156 लोगों का राशन कार्ड बनवाया गया है.

जांच कराने से डरते हैं लोग

परामर्शदातृ युगांत दुबे ने बताया कि सबसे अधिक गुमला प्रखंड में 98 लोग एड्स से पीड़ित मिले हैं. जबकि दूसरे प्रखंड से एड्स पीड़ितों की संख्या कम है. इसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोग जांच कराने से डरते हैं. जबकि जारी, बिशुनपुर, डुमरी, चैनपुर, कामडारा, बसिया, जारी के लोग बहुत ज्यादा दूसरे राज्य पलायन करते हैं. महीनों तक दूसरे राज्य में रहते हैं. इसके बाद वे वापस आते हैं. प्रवासी मजदूरों की जांच होने से एड्स मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. इससे उन्हें लंबी जिंदगी जीने का मार्ग भी मिलेगा. परंतु, जागरूकता की कमी के कारण वे जांच कराने से डरते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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