दुर्जय पासवान
गुमला : आठ माह के पोते आलोक कुल्लू के दूध के लिए उसकी दादी क्लारा कुल्लू ने अपनी जमीन गिरवी रख दी है. दादी के प्यार व संघर्ष के कारण आज आलोक कुपोषण की बीमारी से लड़ कर स्वस्थ हो गया है. यह मामला गुमला जिले के रायडीह प्रखंड के सन्याकोना बगडाड़ गांव का है. सीडब्ल्यूसी गुमला से मिली जानकारी के अनुसार, आलोक के जन्म के 18 दिन बाद उसकी मां मोनिका कुल्लू की मौत बीमारी से हो गयी. पत्नी की मौत के सदमे को पतरस सह नहीं पाया और दो माह बाद छह फरवरी को उसकी भी मौत हो गयी.
मां व पिता की मौत के बाद मासूम आलोक अनाथ हो गया. मां व पिता के निधन के बाद आलोक की परवरिश की जिम्मेवारी दादी क्लारा कुल्लू पर आ गयी.
घर में कुछ पैसे थे, जो बहू व बेटे के अंतिम संस्कार में खत्म हो गया. पोते की भूख मिटाने के लिए दूध खरीदने के लिए क्लारा के पास पैसे नहीं थे. वृद्ध होने के कारण वह मजदूरी भी नहीं कर सकती है, इसलिए उसने अपनी जमीन गिरवी रख दी है. उससे जो पैसे मिले, वह दूध खरीद कर अपने पोते को पिला कर भूख मिटाती रही.
लेकिन मां का दूध नहीं मिल पाने के कारण आलोक कुपोषण का शिकार हो गया, तभी गांव के लोगों ने इसकी सूचना सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह को दी. शंभु ने पहल कर दादी व पोते को गुमला लाने की व्यवस्था करायी. इसके बाद आलोक की जांच गुमला सदर अस्पताल में करायी गयी. जांच में आलोक कुपोषित मिला.
डॉक्टर ने उसे अपनी निगरानी में रख कर अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया. पांच दिन के इलाज के बाद अब आलोक स्वस्थ है. लेकिन बदलते मौसम के कारण अभी उसे बुखार हो गया है. उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है.