अंकित, गुमला
गुमला में एडीजे वन लोलार्क दुबे की अदालत ने गुरुवार को पांच वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी चैनपुर प्रखंड के कुरूमगढ़ निवासी धर्म प्रचारक पास्टर चरकू उरांव (46 वर्ष) को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. आरोपी पास्टर चरकू को धारा 376ए, बी एवं पोस्को एक्ट के तहत सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. इसके अलावा 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
जुर्माना की राशि नहीं देने पर एक साल का अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ सकता है. इस केस में सरकारी पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक चंपा कुमारी व बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मकसूद आलम ने पैरवी की थी. घटना 15 नवंबर 2018 की है. उस समय पीड़िता आरोपी के घर उसके बेटी के पास खेलने गयी थी.
जिस दौरान आरोपी चरकू ने अपने बेटी को कुछ समान लाने का बहाना बनाकर बाहर भेज दिया. जिसके बाद अपनी बेटी की पांच वर्षीय सहेली के साथ दुष्कर्म किया था. जिसके बाद पीड़िता ने अपने घर वालों को घटना की जानकारी दी थी. ग्रामीणों के द्वारा आरोपी चरकू को पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था. घटना के बाद चैनपुर थाना में आरोपी चरकू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार घटना के दिन पीड़िता पास्टर चरकू उरांव के यहां उसकी बेटी के पास खेलने गयी थी. जिसके आधे घंटे के बाद पीड़िता रोते हुए अपने घर आयी और अपने परिजनों को घटना के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद ग्रामीणों के द्वारा आरोपी पास्टर चरकू को पकड़कर पूछताछ करने के दौरान अपना अपराध स्वीकार किया. जिसके बाद ग्रामीणों ने बैठक कर आरोपी पास्टर को पुलिस के हवाले कर दिया था.
आरोपी पांच बच्चों का पिता है
आरोपी चरकू धर्म प्रचारक है और उसकी एक पत्नी व पांच बच्चे हैं. इसके अलावा एक दत्तक पुत्री भी है. जिसके बाद भी उसने अपने बेटी की उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था.
केस के आईओ पर कार्रवाई के लिए पत्र प्रेषित
केस की सुनवाई के दौरान जज ने केस के आईओ (जांच पदाधिकारी) पर कार्य के प्रति लापरवाही बरतने की बात कहते हुए आईओ पर कार्रवाई के लिए गुमला एसपी को पत्र प्रेषित किया. जज ने कहा कि केस के अनुसंधानकर्ता अर्जुन सिंह बांद्रा ने अपने कार्य के प्रति उदासीनता और लापरवाही बरती है. जिस कारण से आरोपी की सजा में कमी आयी है.
अगर आईओ अनुसंधान कर सही से रिपोर्ट प्रस्तुत करते तो निश्चित रूप से आरोपी को आजीवन से बड़ी सजा मिल सकती थी. आईओ ने केस में खुद फर्द बयान लिखा है. खुद केस को रजिस्टर्ड करते हुए खुद अनुसंधानकर्ता बन गया. इस पूरे केस की गवाही होने के बाद आईओ ने केस का चार्ज दूसरे पुलिस अधिकारी को दे दिया था.