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नेतरहाट में एक चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी

दुर्जय पासवान गुमला : छोटानागपुर की रानी के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड राज्य ही नहीं देश में प्रसिद्ध है. समुद्र तल से 3761 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट झारखंड और अन्य राज्यों के पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां भारत ही नहीं, विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं, क्योंकि नेतरहाट की कहानी […]

दुर्जय पासवान

गुमला : छोटानागपुर की रानी के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड राज्य ही नहीं देश में प्रसिद्ध है. समुद्र तल से 3761 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेतरहाट झारखंड और अन्य राज्यों के पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां भारत ही नहीं, विदेशों से भी लोग घूमने आते हैं, क्योंकि नेतरहाट की कहानी अंग्रेजों से भी जुड़ा है.

यहां लोग सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा देखने आते हैं. घने जंगल के बीच बसे इस जगह को खुद प्राकृति ने संवारा है. प्रकृति ने जिस खूबसूरती के साथ नेतरहाट को बनाया है, यह अपने आप में प्राकृति का अनुपम उपहार है.

नेतरहाट गुमला व लातेहार जिला के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है. नेतरहाट का कुछ हिस्सा गुमला जिले के बिशुनपुर, तो कुछ हिस्सा लातेहार जिला के महुआडांड़ में पड़ता है. नेतरहाट की वादियां धरती पर स्वर्ग देखने का एहसास दिलाती है.

एक बार जो नेतरहाट चला गया, वह नेतरहाट को जिंदगी भर नहीं भूल सकता. मैगनोलिया प्वाइंट, नासपाती बगान, अपर घघरी, लोअर फॉल, शैले हाउस, पलामू बंगला, नेतरहाट स्कूल आदि की सुंदरता नेतरहाट की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है.

वहीं, यहां से ऊंची-ऊंची चोटियों व खाइयों से विहंगम दृश्यों की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां की वादियों में चलने वाली ठंडी हवा मन के तार को बरबस ही छेड़ने लगती है. नेतरहाट की इन खूबसूरत नजारों के अलावा यहां एक अंग्रेज ऑफिसर की बेटी व नेतरहाट के चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी का जीता-जागता उदाहरण है.

नेतरहाट में एक अंग्रेज अधिकारी की बेटी व चरवाहे की प्रतिमा स्थापित है, जो दोनों की प्रेम कहानी की गवाही देती है. बताते है कि एक अंग्रेज ऑफिसर को नेतरहाट बहुत पसंद था. वह सपरिवार नेतरहाट घूमने आया और वहीं रहने लगा. उसकी एक बेटी थी. उसका नाम मैगनोलिया था.

नेतरहाट गांव में ही एक चरवाहा था, जो सनसेट प्वाइंट के पास प्रतिदिन आता था. अपने मवेशियों को चराता था. मवेशी चराने के दौरान वह सनसेट प्वाइंट पर बैठ जाता था. इसके बाद वह मधुर स्वर में बांसुरी बजाता था. इसकी चर्चा आसपास के कई गांवों में होती थी.

चरवाहे की बांसुरी की मधुर आवाज ने मैगनोलिया के दिल को छू लिया. मन ही मन वह बांसुरी बजाने वाले से प्रेम करने लगी. वह उससे मिलने के लिए बेकरार हो गयी. उसकी दीवानगी में मैगनोलिया भी सनसेट प्वाइंट के पास आने लगी. दोनों की आंखें चार हुईं. फिर दोनों धीरे-धीरे घुल-मिल गये. बातें शुरू हुई. बातें प्यार में बदल गयी. दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गये.

मैगनोलिया घर से भाग कर हर दिन सनसेट प्वाइंट के पास चली जाती. यहां चरवाहा उसे बांसुरी बजा कर सुनाता था. कुछ दिनों बाद इसकी जानकारी मैगनोलिया के पिता अंग्रेज ऑफिसर को हो गयी. अंग्रेज अधिकारी आग बबूला हो गया. पहले तो अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा को समझाया. उसे मैगनोलिया से दूर रहने की नसीहत दी. लेकिन, प्यार में डूबे चरवाहा ने मैगनोलिया से दूर जाने से मना कर दिया.

गुस्से में आकर अंग्रेज अधिकारी ने चरवाहा की हत्या करवा दी. इसकी जानकारी मैगनोलिया को हुई, तो वह रो पड़ी. उसका दिल बार-बार चरवाहे को खोजता रहा. चरवाहे की मौत से आहत मैगनोलिया घोड़े के साथ सनसेट प्वाइंट के पास पहुंची और घोड़ा सहित पहाड़ से कूद गयी. उसकी मौत हो गयी.

नेतरहाट में वह पत्थर आज भी मौजूद है, जहां बैठकर चरवाहा बांसुरी बजाता था. प्रशासन ने इस स्थल को बेहद खूबसूरती से सजाया है. यहां मैगनोलिया व चरवाहे की प्रतिमा लगायी गयी है. महुआडांड़ के देवनंदन प्रसाद ने बताया कि अधूरी प्रेम कहानी का गवाह है, नेतरहाट का पहाड़. यहां भारत के कोने-कोने से लोग आते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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