गुमला : गुमला से तीन किमी की दूरी पर सिलम घाटी है. इसी घाटी में संप्रेक्षण गृह (रिमांड होम) है. बालबंदी अमरदीप बड़ाइक की मौत ने रिमांड होम की सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है. एक बंदी की मौत के बाद दूसरा बंदी भागने का प्रयास किया. इधर, जिस रात बंदी की मौत हुई, उस रात बंदियों के बीच मारपीट की भी घटना घट चुकी है. बंदी की मौत व बंदी के भागने के मामले में पुलिसिया तफ्तीश चल रही है. लेकिन जो स्थिति रिमांड होम की बनी है, अगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया,
तो बंदी पुन: हड़ताल कर सकते हैं. रिमांड होम में अभी 62 बालबंदी हैं. वहीं मात्र पांच सुरक्षाकर्मी है. यहां 18 वर्ष से कम उम्र के बंदियों को रखना है, लेकिन हाल के दिनों में रिमांड होम में जो घटनाएं घटी है, उससे रिमांड होम की सुरक्षा पर सवाल खड़ा होने लगा है. प्रशासनिक लापरवाही भी उजागर हुई है. कई बालबंदी खुराफाती भी हैं,
जिनके कारण रिमांड होम का माहौल बिगड़ता रहा है. गुमला पुलिस विभाग रिमांड होम में अधिक उम्र के बंदियों के रहने से खून खराबा की आशंका प्रकट कर चुकी है. वहीं बंदी रिमांड होम की समस्याओं को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं. कई बार भूख हड़ताल भी कर चुके हैं. रिमांड होम के अंदर गंदगी के कारण अक्सर बंदी बीमार होते रहे हैं. कई बंदी अभी भी खुजली बीमारी से परेशान हैं.
ज्ञात हो कि रिमांड होम का संचालन जैसे-तैसे हो रहा है. यहां झाड़ू पोछा व रसोइया से लेकर अधीक्षक तक का पद रिक्त है. पानी, बिजली व सुरक्षा की भी समस्या है. रिमांड होम की स्थापना वर्ष 2008 में गुमला शहर से चार किमी दूर सिलम घाटी में हुई थी. 10 साल गुजर गये, लेकिन अभी तक रिमांड होम के स्वीकृत 23 पदों को भरा नहीं गया है. काम चलाऊ कर्मचारी व पदाधिकारी के भरोसे रिमांड होम चल रहा है.
मांगों को लेकर हड़ताल कर चुके हैं बाल बंदी
बड़ी घटना होने की संभावना
गुमला के सिलम स्थित रिमांड होम में कभी भी खून खराबा हो सकता है. कोई बड़ी घटना की संभावना है. यह आशंका गुमला पुलिस वर्ष 2017 के दिसंबर महीने में व्यक्त कर चुकी थी. इसकी जानकारी पुलिस विभाग ने पहले ही न्यायालय को दी थी. पुलिस के अनुसार, रिमांड होम में कई बंदियों की उम्र 18 साल से अधिक है और वे लंबे समय से रिमांड होम में रह रहे हैं. कई बालबंदी व्यस्क हो गये हैं. इस कारण अक्सर रिमांड होम में हो-हंगाम व माहौल को बिगाड़ने का प्रयास किया जाता रहा है. डीएसपी ने कहा कि न्यायालय से गुहार लगायी गयी है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र के बंदियों को रिमांड होम से निकाल कर गुमला जेल में शिफ्ट किया जाये.
रसोइया को खदेड़ चुके हैं बंदी
15 दिसंबर 2017 की शाम व रात को रिमांड होम में बाल बंदियों ने जम कर हंगामा किया था. उस समय रसोइया को भोजन बनाने नहीं दिया गया और उसे खदेड़ दिया गया था. इसके बाद लगातार हंगामा हुआ था. किसी प्रकार बंदियों को शांत करा कर भोजन कराया गया था. इस वर्ष 29 व 30 जनवरी को अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर बालबंदी दो दिन तक भूख हड़ताल पर रह चुके हैं. जब समस्या दूर करने का आश्वासन मिला था, तब बंदियों ने भूख हड़ताल खत्म की थी.
दो चौकी को सटा कर सोते हैं बाल बंदी
बंदियों को सोने में दिक्कत होती है. तीन कमरा है, जहां 22 से 23 बालबंदी हैं. चौकी की कमी है. एक चौकी में एक ही बंदी सो सकता है. इस समस्या को देखते हुए बंदियों ने दो चौकी को सटा दिया है, ताकि दो चौकी में तीन बंदी सो सके. बंदी पूर्व में चौकी की मांग कर चुके हैं, लेकिन चौकी की व्यवस्था नहीं हुई है.
डॉक्टर नहीं, अस्पताल जाना पड़ता है
रिमांड होम में डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी नहीं हैं, जबकि एक डॉक्टर व एक कर्मी का पद स्वीकृत है, लेकिन ये दोनों पद रिक्त हैं. जिस कारण जब कोई बालबंदी बीमार होता है, तो उसे गुमला अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है. कई बार तो गंभीर बीमार होने पर देर रात को बंदियों को अस्पताल लाना पड़ता है. बंदियों ने कहा है कि सप्ताह में एक दिन रिमांड होम में डॉक्टर से जांच की व्यवस्था हो.
18 माह से कुक को मानदेय नहीं मिला
रिमांड होम में रसोइया शीत नाग व नारायण भगत है. वहीं सफाईकर्मी पिंटू राम व रात्रि प्रहरी राजकिशोर बड़ाइक है. इन लोगों को गत 18 माह से मानदेय नहीं मिला है. इन लोगों ने मानदेय के भुगतान को लेकर डीसी से शिकायत की थी, लेकिन अधिकारियों की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण कर्मचारियों को मानदेय नहीं मिला है. कभी भी काम बंद करने की बात कर्मचारियों ने कही है.
रिमांड होम की प्रमुख समस्याएं
बाल बंदियों ने 29 व 30 जनवरी को भूख हड़ताल की थी. उस समय 15 सूत्री मांग पत्र प्रशासन को सौंपा था, जिसमें बाथरूम के पाइप को ठीक करने, केस का निष्पादन करने, इनर्वटर का चार्जर ठीक करने, गटर की सफाई नियमित करने, गंदा बेड को बदलने व पानी स्टोर करने के लिए ड्रम की व्यवस्था करने आदि की मांग शामिल है. इन समस्याओं में मात्र बाथरूम की सफाई व पाइप ठीक हुआ है.
रिमांड होम में नहीं है वाच टावर
रिमांड होम में वाच टावर नहीं लगा है, जिसका फायदा रिमांड होम में बंद कुछ शरारती बाल बंदी उठाते हैं. बाल बंदी अक्सर रिमांड होम की झाड़ी से सटी दीवार को फांद कर भागते हैं. हालांकि बंदियों के भागने की घटना को देखते हुए दीवार ऊंची कर कांटेदार तार लगाये गये हैं. इसके बाद भी कई बाल बंदी भागने का प्रयास कर चुके हैं. अगर वाच टावर रहता, तो बंदियों की गतिविधि पर नजर रखा जा सकता है.