गुमला :विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासी एकता मंच गुमला के तत्वावधान में गुमला के नगर भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम आदिवासी कला, संस्कृति व परंपरा से ओतप्रोत रहा. कार्यक्रम में कई छात्रावासों और गांवों के लोगों ने गीत-नृत्य के माध्यम से अपनी कला व संस्कृति की झलक पेश की.
कार्यक्रम के दौरान वर्तमान में राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों की स्थिति पर भी चर्चा की गयी. मुख्य अतिथि समाजसेवी चुमनु उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग दुनिया के प्राचीन निवासी हैं. इसके बाद भी आदिवासी समाज काफी पिछड़ा हुआ है. आदिवासियों के लिए सीएनटी-एसपीटी एक ऐसा कानून है, जो आदिवासियों के अस्तित्व को बनाये रखा है, लेकिन सरकार इसमें भी छेड़छाड़ कर आदिवासी समाज के अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास कर रही है.
अब वक्त आ गया है कि हम एकजुट हों और अपने हक व अधिकार के लिए आरपार की लड़ाई लड़ें. विशिष्ट अतिथि रेक्टर फादर ने वर्तमान समय में आदिवासी समाज की स्थिति पर चर्चा की और समाज की एकजुटता पर बल दिया. मंच के अध्यक्ष सुनील केरकेट्टा ने कहा कि आदिवासी समाज के कला, संस्कृति, परंपरा, खान-पान व वेशभूषा सहित सभी चीजों के संरक्षण की जरूरत है.
कार्यक्रम को सजीत पन्ना, सेतकुमार एक्का, फादर अनुरंजन हासा पूर्ति, तोवियस डुंगडुंग, सुनील कुल्लू व फ्लोरा मिंज ने भी संबोधित किया. मंच का संचालन अमित एक्का ने किया. कार्यक्रम में महावीर उरांव, जेराल्ड संजय बाड़ा, हिलारियुस तिर्की, सेवेस्तियन एक्का, फादर विलियम लकड़ा, जुलियुस कुल्लू, पात्रिक कुजूर व मुकेश लकड़ा सहित कई लोग शामिल थे.