सिंचाई परियोजना के डांड भौरा बराज परियोजना से निकलने वाली नहर आज भी विकास की बाट जोह रही है. हरिनकोल होकर नहर दो दिशाओं में मुड़ती है. एक ओर नहर का कुछ हिस्सा पक्का कर दिया गया है, लेकिन मोरडीहा की ओर जाने वाला हिस्सा आज भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा है. इसी छोर से मकरकंद वृक्ष के समीप निकलने वाला डांड क्षेत्र के किसानों के खेतों की सिंचाई करता था, लेकिन अब यह भी खस्ताहाल हो चुका है. किसान शेख वाहिद, मिस्टर खान, फोटोलाल यादव, जयकांत यादव, सुमंत मंडल और गनौरी साह ने बताया कि भौरा बराज परियोजना से पानी निकलने के बाद इनके खेतों तक आसानी से पानी पहुंचता था, जिससे उन्नत खेती कर अच्छी उपज होती थी. वर्तमान में कई हिस्सों में मिट्टी भराव के कारण पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है. किसानों ने कहा कि यदि नहर और डांड की खुदाई कर दी जाये तो क्षेत्र के कुरमा, इटवा, झुरकुसिया, महुआरा और मोरडीहा के लगभग 250 बीघे से अधिक किसानों के खेतों तक आसानी से पानी पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गेहूं की बुआई शुरू हो चुकी है, लेकिन समय पर सिंचाई न होने की स्थिति में फसल पूरी तरह बर्बाद होने का खतरा है. किसानों ने स्थानीय विधायक और मंत्री से आग्रह किया है कि डांड व नहर का जीर्णोद्धार कराकर सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाया जाये, ताकि क्षेत्र के किसानों को पर्याप्त पानी मिल सके और फसल की उपज प्रभावित न हो.
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