प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को मलेरिया, फाइलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस एवं कालाजार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. सभी ग्रामीण स्वास्थ्य प्रैक्टिसनर को इन बीमारियों के लक्षण, समय पर पहचान, रोकथाम के उपाय व प्राथमिक उपचार से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रशिक्षित किया गया. इस दौरान 10 फरवरी 2026 से प्रस्तावित मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर विशेष चर्चा की गयी. इसमें ग्रामीण स्वास्थ्य प्रैक्टिसनर की भूमिका को अहम बताते हुए हैंड-होल्ड सपोर्ट, समुदाय में दवा सेवन को बढ़ावा देने, लोगों को जागरूक करने तथा फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सक्रिय सहयोग देने पर जोर दिया गया.
टीबी मुक्त राजधनवार मनाने की अपील
इसके साथ ही टीबी मुक्त राजधनवार के लक्ष्य को हासिल करने में भी ग्रामीण चिकित्सकों से सहयोग करने की अपील की गयी. प्रशिक्षण सत्र में डॉ करिश्मा ने हाई व लो बीपी तथा सीपीआर से संबंधित आवश्यक जानकारी दी. आरएचपी का एक साझा ग्रुप बनाने पर जोर दिया गया. इसमें रेफरल अस्पताल से संबंधित आवश्यक सूचनाएं साझा की जायेंगी तथा आपसी समन्वय व सहयोग को मजबूत किया जाएगा. प्रशिक्षण के दौरान ग्रामीण चिकित्सकों ने कई सवाल पूछे और अपने अनुभव साझा किये. प्रतिभागियों ने इसे अत्यंत उपयोगी बताया. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आगे भी होगा, ताकि क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों को सभी प्रमुख बीमारियों से संबंधित अद्यतन जानकारी मिलती रहे और ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सेवा अधिक सुदृढ़ हो सके. मौके पर अजय वर्मा, अजय कुमार भारती, लैब टेक्नीशियन प्रवीण कुमार, टीम के सदस्य, जिला के राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम कंसल्टेंट इंद्रदेव कार, एमटीएस संजीव कुमार आदि मौजूद थे.
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