इस भीषण गर्मी में जाम में फंसे लोगों के लिए यह रेलवे ओवरब्रिज नासूर के समान हो गया है. बता दें कि हावड़ा-दिल्ली लाइन व्यस्तम रेल मार्गों में एक हैं. इसके कारण हजारीबाग रोड रेलवे स्टेशन के समीप स्थित गुमटी 20 एसपी एल/टी प्राय: बंद रहती है. इसके कारण रांची-दुमका मार्ग पर हमेशा जाम लगा रहती है.
73 करोड़ की लागत से हो रहा निर्माण
जाम की समस्या तथा रेल गाड़ियों के सुगम संचालन के लिए 73 करोड़ की लागत से आरओबी का निर्माण शुरू हुआ. इसकी शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 फरवरी 2024 को ऑनलाइन किया था. इसे 18 माह में पूरा करना था. कार्य प्रारंभ होने के 16 माह बीत जाने के बावजूद भी आरओबी निर्माण कार्य 50 प्रतिशत भी नहीं हो सका है. निर्माण कार्य की समयावधि मात्र दो माह ही बचे हैं, लेकिन इतने कम समय में ब्रिज का निर्माण कार्य पूरा होना संभव नहीं दिख रहा है. निर्माण कार्य की धीमी गति से होने से आम लोग काफी परेशान हैं. निर्माण स्थल में अब तक डायवर्सन भी ठीक से नहीं बन सका है. जबकि, नियमित निर्माण कार्य प्रारंभ होने से पहले दोनों ओर डायवर्सन बनाना था, ताकि आवागमन सुचारु रूप से होते रहे. संवेदक ने जैसे-तैसे डायवर्सन का निर्माण करवा दिया है. बड़ी गाड़ियों के आने-जाने के कारण बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं. इससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
गाद व कीचड़ बना परेशानी का कारण
ओवरब्रिज के फाउंडेशन के लिए बड़ी ड्रिल मशीन से बोरिंग हो रही है. बोरिंग से निकलने वाले गाद व कीचड़ सड़क पर बह रहे हैं. बिजली के पोल व नंगे तार भी सड़कों पर पूर्व की तरह हैं. सड़कों के किनारे लगे सीमेंट के 65 तथा 16 लोहे के पोल की शिफ्टिंग करनी थी. इसके लिए रेलवे ने बिजली विभाग को क्षतिपूर्ति राशि भी दे दी है. इसके बाद भी 11000 व एलटी लाइन नहीं शिफ्ट किया गया. इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकता है. इधर, वन वे के कारण लोगों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है.
क्या कहते हैं साइट इंजीनियर
आरओबी निर्माण कार्य की धीमी गति पर साइट इंजीनियर ओमप्रकाश ने बताया कि सरकार द्वारा दी गयी समयावधि लगभग पूरी होने वाला है. लेकिन, अब तक 50 प्रतिशत ही कार्य हो सका है. बताया कि यह ओवर ब्रिज कुल तेरह पिलर रक होगा, लेकिन अभी तक मात्र सात पिलर ही खड़ा हो सका है. उन्होंने बताया कि आरओबी निर्माण के लिए भू-अर्जन विभाग द्वारा चिह्नित भूमि को कुछ लोगों ने खाली नहीं किया गया है. इसके कारण देरी हो रही है. बताया कि कृष्ण मोदी, दिनेश मोदी, हेमराज मंडल समेत अन्य रैयतों की भी भूमि का मुआवजा का भुगतान नहीं हो पाया है. वहीं, रैयत अर्जुन महतो की भूमि से संबंधित मामले में उच्च न्यायालय ने स्टे लगाया गया है. इसके कारण उक्त लोग मकान व दुकान को खाली नहीं किये हैं. वहीं, अधिकतर लोग भू-अर्जन विभाग द्वारा चिह्नित जमीन से कम भाग को खाली किया है. कोई दो से छह फीट जमीन कब्जा कर रखा है. इसके ना तो नाली का निर्माण नहीं हो पा रहा है और ना ही मजबूत डायवर्सन बन सका है. बताया कि इसकी शिकायत रेलवे अधिकारियों को कई बार की जा चुकी है, लेकिन कोई पहल नहीं हो रही है. इसके कारण कार्य की गति गति है. यदि संबंधित विभाग अधिग्रहित भूमि को खाली करा दे, तो निर्माण पूरा होने में अधिक समय नहीं लगेगा. साथ ही मजबूत डायवर्सन तथा नाली का निर्माण भी संभव हो सकेगा. यदि अधिग्रहित भूमि खाली नहीं करायी जाती है और नाली का निर्माण नहीं किया जाता है, तो बारिश में सरिया बाजार का यह क्षेत्र जलमग्न हो जायेगा और लोगों को आवागमन में काफी परेशानी होगी.
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