जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों गिरिडीह ओसीपी के परिचालन को लेकर नौ आउटसोर्सिंग कंपनियों ने जेम (जीइएम) पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन किया था. सूत्रों के मुताबिक सीसीएल मुख्यालय स्तर पर इन आवेदनों के आलोक में एक कंपनी एल वन बनी. हालांकि, उक्त कंपनी के कागजातों की जब स्क्रूटनी की गयी, तो कई तकनीकी फॉल्ट मिला. लिहाजा आउटसोर्सिंग कार्य एजेंसी का नाम फाइनल नहीं हो सका है. इस संबंध में परियोजना पदाधिकारी जीएस मीणा ने बताया कि एल वन आउटसोर्सिंग कंपनी के बारे में जानकारी मिली है कि कागजातों की जांच में वह जीएसटी डिफॉल्टर पायी गयी है. ओसीपी के परिचालन को लेकर अब नये सिरे से आउटसोर्सिंग कंपनियों से ऑनलाइन आवेदन मांगा जायेगा. इसके बाद नाम तय होगा. इसमें कुछ समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि अगले वित्तीय वर्ष में गिरिडीह ओसीपी से कोयला का उत्पादन कार्य सुचारू रूप से शुरू हो जायेगा. क्षेत्र की समाप्त हो गयी रौनक : बता दें कि जनवरी 2022 से गिरिडीह ओसीपी में कोयला का उत्पादन बंद है. उत्पादन बंद रहने से इसकी रौनक छिन गयी है. उत्पादन बंद रहने से एक ओर जहां सीसीएल और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, तो दूसरी ओर कोयला व्यवसाय से जुड़े लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. उत्पादन ठप रहने के कारण कोयला लोडिंग करने वाले कई मजदूर पलायन कर गये हैं. कुछ मजदूर अभी भी ओसीपी के पुन: चालू होने का इंतजार कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक गिरिडीह ओपेनकास्ट परियोजना को इसी लेने में उत्पन्न बाधा को दूर कराने में नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू, राज्यसभा सदस्य डॉ सरफराज अहमद व गांडेय विधायक कल्पना सोरेन ने अहम भूमिका निभायी. इसी मिलने के बाद सीटीई भी मिल गया है. सीटीओ लेने के लिए प्रक्रिया चल रही है. बहरहाल ओसीपी को आउटसोर्सिंग मोड में चलाने का निर्णय होने के बाद, कार्य एजेंसी तय नहीं होती है, तब तक इसके चालू होने की उम्मीद कम है. वैसे प्रबंधन का कहना है कि तमाम पहलुओं के निष्पादन को लेकर प्रयास जारी है.
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