इस दो दिवसीय प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जिला के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों को उन्नत तकनीकी जानकारी और आधुनिक प्रोटोकॉल से प्रशिक्षित कर पंचायत स्तर पर टीबी उन्मूलन की लड़ाई को और अधिक प्रभावी और तेज बनाना है.
दूसरे दिन में हुआ प्रशिक्षण पूरा
प्रशिक्षण में संदिग्ध टीबी मरीजों की पहचान हेतु नवीन तकनीकों, स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल, उपचार में उपयोग होने वाली नयी दवाओं, प्रॉपर सुपरविजन एंड मॉनिटरिंग की पद्धतियों सहित डेटा रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग को और बेहतर बनाने के तौर-तरीकों पर विस्तार से जानकारी दी गयी. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी को लेकर फैल रही गलतफहमियों को दूर करने और फुल कोर्स उपचार के महत्व पर जन-जागरूकता फैलाने की क्षमता विकसित करने पर विशेष जोर दिया गया. दूसरे दिन के प्रशिक्षण में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रेखा कुमारी, जिला यक्ष्मा केंद्र के सीनियर डीपीएस संजीव कुमार तथा डीपीपीएमसी सह प्रभारी डीपीसी वीरेन्द्र प्रसाद यादव ने टीबी के नए दिशा-निर्देश, पोषण सहायता और लाभकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी. प्रशिक्षकों ने बताया कि क्षेत्र स्तर पर कार्यरत सीएचओ यदि इस तकनीकी ज्ञान को समुदाय में प्रभावी रूप से लागू करें, तो टीबी मुक्त पंचायत के लक्ष्य को प्राप्त करना और अधिक आसान होगा. जिले के सभी प्रखंडों से पहुंचे लगभग 139 सीएचओ ने इस प्रशिक्षण में भाग लिया.
इनकी थी सहभागिता
कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला यक्ष्मा केंद्र, गिरिडीह के विजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, गौतम कुमार, रमाकांत, पंकज कुमार, रवि कान्त सिन्हा, गिरज मंडल तथा मोहन प्रसाद यादव, मनोज राम, मो कोनैन अंसारी, साजन ठाकुर, सुंदवा हाड़िन सहित अन्य कर्मियों की अहम भूमिका रही.
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