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ऊंची उड़ान भरना चाहती है बगोदर की बिरहोर बेटी उपासी, बनना चाहती है आईएएस ऑफिसर

Success of Birhor Daughter: उपासी कहती है कि बिरहोर समुदाय में विशेष रूप से उच्च शिक्षा लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल होती है. उच्च शिक्षा गांव, टोले से स्कूल और कॉलेज का दूर होना सबसे बड़ी समस्या है. लड़कियों को स्कूल के बाद होने वाली परेशानी और गरीबी की वजह से पढ़ाई बंद कर देनी पड़ती है. यह उनकी मजबूरी है. उपासी ने कहा कि उसकी मां संजीना देवी ने उसको पढ़ाने में रुचि दिखायी. उसकी काफी मदद की.

Success of Birhor Daughter| बगोदर (गिरिडीह), कुमार गौरव : विलुप्त हो रही आदिम जनजाति बिरहोर परिवार आज हासिये पर हैं. इस जनजाति के परिवारों में खासकर लड़कियों के लिए उच्चतर शिक्षा बड़ी चुनोती है. इस जनजाति की लड़कियों को पांचवीं या छठी तक की पढ़ाई के बाद घर में बैठा दिया जाता है. इनकी या तो शादी करा दी जाती है या घर में बैठा दिया जाता है. वहीं, लड़कों को कमाने के लिए ट्रैक्टर चलाने या रस्सी बुनने के काम में लगा दिया जाता है.

अंबुलाल बिरहोर की बेटी उपासी ने तोड़ी परंपरा

यही वजह है कि बगोदर प्रखंड के अटका के बुढ़ाचांच के बिरहोर परिवारों में से कोई भी लड़का-लड़की कॉलेज नहीं पहुंचा. इस परंपरा को टोले के अंबुलाल बिरहोर की बेटी उपासी कुमारी ने तोड़ दिया है. उसने कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर दी है. उसकी ख्वाहिश है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी बने.

26 सितंबर से कॉलेज जायेगी उपासी बिरहोर

अटका पूर्वी पंचायत के बुढ़ाचांच में बिरहोर टंडा टोला है. इस टोले में करीब 52 चूल्हे हैं. आबादी 325 है. इंटर पास करने के बाद उपासी कुमारी ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए बगोदर के घाघरा साइंस कॉलेज में दाखिला लिया है. उसने हिंदी विषय में स्नातक की पढ़ाई शुरू कर दी है. 26 सितंबर से उपासी बिरहोर कॉलेज जाना शुरू करेगी. इससे उपासी के साथ-साथ उसके माता-पिता भी बेहद खुश हैं.

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बिरहोर बेटियों के लिए उच्च शिक्षा बहुत मुश्किल – उपासी

उपासी कहती है कि बिरहोर समुदाय में विशेष रूप से उच्च शिक्षा लड़कियों के लिए बहुत मुश्किल होती है. उच्च शिक्षा गांव, टोले से स्कूल और कॉलेज का दूर होना सबसे बड़ी समस्या है. लड़कियों को स्कूल के बाद होने वाली परेशानी और गरीबी की वजह से पढ़ाई बंद कर देनी पड़ती है. यह उनकी मजबूरी है. उपासी ने कहा कि उसकी मां संजीना देवी ने उसको पढ़ाने में रुचि दिखायी. उसकी काफी मदद की.

Success Of Birhor Daughter Upasi Kumari Bagodar Giridih Jharkhand News
यूनिफॉर्म में अपने माता-पिता के साथ उपासी कुमारी. फोटो : प्रभात खबर

Success of Birhor Daughter: कस्तूरबा स्कूल से मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई की

मां ही ने हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड से कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से मैट्रिक और इंटर तक की पढ़ाई करवायी. मैट्रिक और इंटर में प्रथम श्रेणी में पास करने वाली उपासी की मेधा को देखते हुए परिवार ने घाघरा साइंस कॉलेज में उसका दाखिला करवाया. उपासी का सपना आईएस बनने का है. उपासी 4 भाई-बहनों में सबसे बड़ी है. वह कहती है कि भाई को संस्था के सहयोग से एक स्कूल में भेजा गया, लेकिन उसने पढ़ाई में रुचि नहीं दिखायी. इसलिए उसकी शादी कर दी गयी.

आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उपासी ने की पढ़ाई

उपासी ने आर्थिक कठिनाइयों और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी. वह कहती है कि उसका सपना है कि पढ़-लिखकर अपने समुदाय के बच्चों को भी शिक्षा से जोड़ने में मदद करे. वह बिरहोर समाज को आगे ले जाना चाहती है. साथ ही उनके जीवन स्तर में बदलाव के लिए काम करना चाहती है. वह टोले की अन्य लड़कियों को भी अपनी पढ़ाई जारी रखने का संदेश देती हैं.

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रस्सी बनाते उपासी के माता-पिता. फोटो : प्रभात खबर

उपासी के चेहरे पर दिख रही कॉलेज जाने की खुशी

कॉलेज जाने की खुशी उपासी के चेहरे पर साफ दिख रही है. उपासी बिरहोर की मां संजीना देवी कहती हैं कि बेटी ने स्कूल में मेहनत की. अब कॉलेज जा रही है. वह काफी खुश हैं. कई लोगों का इसमें सहयोग रहा. उन्होंने सरकार से मांग की है कि बेटी की आगे की पढ़ाई पूरी हो और बाद में उसे अच्छी नौकरी मिले, ऐसी व्यवस्था सरकार करे.

उपासी की मां बोली- गांवों में स्कूल खुलें, तो बिरहोर बच्चे भी उच्च शिक्षा हासिल करेंगे

संजीना देवी ने कहा, ‘हमलोग आज भी रस्सी बुनने के पेशे से ही जुड़े हैं. सरकार अगर शिक्षा में अच्छे स्कूल गांवों में खोले, तो बिरहोरों के बच्चे भी उच्च शिक्षा हासिल कर उच्च पदों पर पहुंच सकते हैं. नौकरी नहीं मिलती, इसलिए जनजातीय परिवार के लोग अपने ब्चचों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं. उपासी की सफलता अन्य बिरहोर बच्चियों को प्रेरित करेगी.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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