पंचायत स्तर पर कार्यरत सीएचओ को उन्नत जानकारी और नवीन तकनीक से लैस कर टीबी उन्मूलन प्रयासों को मजबूत बनाना इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य है. प्रशिक्षण के दौरान सीएचओ को संदिग्ध टीबी मामलों की पहचान, स्क्रीनिंग प्रोटोकॉल, नवीन तकनीक, डिजिटल रिपोर्टिंग सिस्टम और बेहतर सामुदायिक फॉलो-अप के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. साथ ही टीबी रोगियों के नये उपचार पद्धतियों, दवाओं के उपयोग और प्रॉपर सुपरविजन एंड मॉनीटरिंग के महत्व पर विशेष सत्र आयोजित किया गया.
डेटा रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग की दी गयी जानकारी
टीबी मरीजों की डेटा रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग को और अधिक तकनीकी व सटीक बनाने के लिए आधुनिक तरीकों की जानकारी भी साझा की गयी. ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी के प्रति प्रचलित गलतफहमियों को दूर करने के लिए सीएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण है. प्रशिक्षण में उन्हें सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने, फुल कोर्स उपचार के महत्व को समझाने और पंचायत स्तर पर टीबी मुक्त पंचायत के लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति बतायी गयी.
सीएचओ की भूमिका अहम : डॉ रेखा
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रेखा कुमारी ने कहा कि सीएचओ जमीनी स्तर पर कार्यरत होते हैं और सीधे ग्रामीण जनसमूह के संपर्क में रहते हैं. ऐसे में टीबी जैसे संक्रामक रोगों की तेजी से पहचान कर सही उपचार की पहल सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. प्रशिक्षण से सीएचओ की क्षमता में और भी मजबूती आयेगी. प्रशिक्षक के तौर पर जिला यक्ष्मा केंद्र, गिरिडीह के सीनियर डीपीएस संजीव कुमार और डीपीपीएमसी सह प्रभारी डीपीसी वीरेंद्र प्रसाद यादव ने टीबी के नये दिशा-निर्देश, पोषण सहायता, सरकारी योजनाओं और आधुनिक उपचार व्यवस्था पर विस्तार से जानकारी दी. आयोजन में जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मी विजय कुमार, धर्मेंद्र कुमार, गौतम कुमार, रमाकांत, पंकज कुमार, रविकांत सिन्हा, गिरज मंडल, मोहन यादव, मनोज राम, मो कोनैन अंसारी, साजन ठाकुर, सुंदवा हाड़िन सक्रिय रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

