संगठन के जिला समन्वयक सुरेंद्र पंडित ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा, बाल श्रम के दुष्परिणामों पर ध्यानाकर्षण के साथ सजगता और बाल श्रम मुक्त समाज की परिकल्पना को साकार करना रहा. तीन दिवसीय कार्यक्रम में बाल मित्र ग्रामों में जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों और युवाओं ने दीवार लेखन के माध्यम से की. उन्होंने सशक्त नारों और चित्रों के माध्यम से बाल श्रम के खिलाफ अपना विरोध प्रकट किया. इसके पश्चात बच्चों व लोगों ने रैली निकालकर पूरे गांव में जागरूकता का संदेश दिया. गांव के बुजुर्ग, महिला मंडल, युवा और बाल पंचायत सदस्यों ने सामूहिक रूप से बाल श्रम मुक्त ग्राम की घोषणा करते हुए यह संकल्प लिया कि किसी भी बच्चे से मजदूरी नहीं करायी जायेगी. बाल अधिकारों पर आधारित प्रेरणादायक फिल्म की स्क्रीनिंग भी की गयी. बाल पंचायत के सदस्यों ने बाल श्रम के विरुद्ध नारों वाले पोस्टकार्ड का प्रदर्शन करते हुए अपने विचार साझा किये और सरकार व समाज से अपील की कि बच्चों के बचपन को सुरक्षित रखने हेतु ठोस कदम उठाए जायें. बाल पंचायत मुखिया सह राष्ट्रीय बाल महापंचायत की सदस्य सुरुजमुनी हेंब्रम, जेरोडीह के युवा मंडल अध्यक्ष दिनेश मुर्मू, सदस्य मनोज मंडल आदि ने अपने विचार रखे
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