इस विद्यालय में 440 छात्र-छात्राओं का भविष्य पर महज चार शिक्षकों पर है. विषयवार शिक्षक नहीं रहने से कक्षा छह से दसवीं तक विषयवार पढ़ाई नहीं होती है. विद्यालय में वर्ग एक से लेकर दसवीं तक के बच्चे पढ़ते हैं. छात्रों के अनुपात में कमरे है. लेकिन तीसरी कक्षा में बेंच-डेस्क का अभाव है, जिससे चौथी कक्षा में ही ही तीसरी कक्षा के बच्चों को पढ़ना विवशता है. विद्यालय में 15 कमरे हैं, जिसमें रसोई घर, एक स्टोर, कंप्यूटर कक्ष है.
चहारदीवारी नहीं रहने से होती है परेशानी
चहारदीवारी नहीं रहने विद्यालय परिसर मवेशियों का चारागाह बनता जा रहा है. जिससे छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. साथ ही विद्यालय में विद्यार्थियों के लिए अनुपात में शौचालयों की कमी है. महज दो शौचालय हैं, जिसमें एक छात्र और दूसरा छात्राओं के लिए है. यहां पदस्थापित सभी चार शिक्षक पांचवीं तक को पढ़ाने के लिए हैं. कक्षा छह से लेकर दसवीं तक किसी भी विषय के शिक्षक नहीं है.
और दो शिक्षकों के ट्रांसफर की संभावना
विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेंद्र रजक, अमित कुमार, शीखा किरण और एक सहायक मो सलीम अंसारी हैं. वह भी दूसरे विद्यालय के प्रतिनियोजन पर चल रहे हैं. विद्यालय में आठ कंप्यूटर के लिए एक शिक्षक है. विद्यालय के सहायक अध्यापक मो सलीम अंसारी बताते हैं कि विद्यालय के दो शिक्षकों का जिला ट्रांसफर की बात चल रही है. उनके चले जाने से दो शिक्षक ही रह जायेंगे. विद्यालय में दोपहर भोजन नियमित है.
पंसस ने डीइओ को लिखा पत्र
पंसस निखत परवीन ने जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीअओ) को पत्र लिखकर चहारदीवारी का निर्माण विद्यालय विकास फंड या विधायक फंड से बनाने की मांग की है. इसको लेकर पंचायत समिति की बैठक में भी प्रस्ताव लाया गया है, ताकि विद्यालय में व्याप्त समस्याओं को दूर किया जा सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

