पूर्व मध्य रेलवे के गया-धनबाद ग्रैंड कोर्ड रेल मार्ग पर बीते लगभग चार वर्षों से एक भी पैसेंजर ट्रेन का परिचालन नहीं हो रहा है. इससे इस क्षेत्र के गरीब-मजदूर लोगों को झारखंड, बिहार, बंगाल जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में यात्रा महंगी पड़ रही है. इन्हें दोगुना आर्थिक बोझ सहना पड़ता है.
महामारी के बाद ट्रेन एक्सप्रेस कर दी गयी
विदित हो कि इस रेल खंड में ब्रिटिश दौर से चलनेवाली आसनसोल-वाराणसी पैसेंजर ट्रेन इलाके के लिए लाइफ लाइन थी. कोविड महामारी के दौरान सभी ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था. महामारी का असर खत्म होने के बाद विशेष एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन कराया गया. स्थिति सामान्य होने पर इस रूट की सभी रेलगाड़ियां पटरी पर दौड़ने लगीं. वाराणसी-आसनसोल पैसेंजर को एक्सप्रेस ट्रेन का दर्जा देकर चलाया जाने लगा. उक्त ट्रेन का ठहराव पूर्व की तरह सभी छोटे-बड़े स्टेशनों पर हो रहा है. यात्रियों से पैसेंजर ट्रेन की जगह एक्सप्रेस का किराया लिया जा रहा है. गरीब मजदूर वर्ग के लोगों के लिए भारी पड़ रहा है. अन्य रेल मार्गों पर गरीब यात्रियों के लिए पैसेंजर ट्रेन चलायी जा रही हैं.
कोई नहीं ले रहा सुध
स्थानीय लोग नियमित रूप से इस रूट पर वाराणसी-आसनसोल एक्सप्रेस ट्रेन को पुन: पैसेंजर ट्रेन के रूप में चलाने तथा एक अतिरिक्त पैसेंजर लोकल ट्रेन के परिचालन की मांग जोर पकड़ने लगी. इस बाबत स्थानीय जागरूक लोगों ने कोडरमा सांसद तथा डीआरएम धनबाद को पत्र भी किया. इस मांग पर ना तो विभाग ने संज्ञान लिया और ना ही कोडरमा सांसद का इस ओर ध्यान आकृष्ट हुआ है. सरकार की इस दुनीति रवैये से लोगों में काफी नाराजगी है. सरकार के इस सौतेले व्यवहार से उनके अंदर गुस्सा भी बढ़ता रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए एकमात्र यह पैसेंजर ट्रेन थी जिसके भरोसे कम किराए में लोग अपनी सफर तय करते थे. इसी रेल मार्ग पर धनबाद-गया-सासाराम इंटरसिटी एक्सप्रेस भी चलती है. परंतु उक्त गाड़ी का ठहराव रेलवे हॉल्ट पर नहीं होता है जिससे ग्रामीण क्षेत्र के रेल यात्री काफी परेशान रहते हैं.
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