करमा पर्व को लेकर क्षेत्र के महिलाओं में उत्साह का माहौल है. बुधवार की रात करम डाली की पूजा के बाद रातभर महिलाओं ने गीत संगीत के साथ करमा पर्व को मनाया गया. रातभर जागरण के बाद अहले सुबह करम डाली व जवा डाली को स्थानीय नदी या तालाब में प्रवाहित कर एक सप्ताह के इस पर्व को संपन्न किया जायेगा. इधर बुधवार की सुबह में महिलाएं नाचते गाते हुए फूल लाने के लिए तालाब घाटों पर पहुंचीं, वहां से फूल को एकत्रित कर पूजा स्थल पर लाया गया. वहीं पुरुष जंगल गये जहां से करम की डाली को काटकर इसे पूजा के लिए लाया गया. मान्यता है कि पुरुष जंगल से करम की डाली को लाकर इसे एक स्थान पर छुपा कर रख देते हैं. शाम में जब इसे गाड़ने का समय आती है तो महिलाएं अपने भाइयों को करम गीत के साथ आग्रह करते हैं तब जाकर छुपाकर रखे डाली को दिया जाता है. करम डाली को पाने के बाद महिलाएं खुशी से झूमते हुए उसे पूजा स्थल पर लाकर गाड़ देते हैं और उसके पत्ते में प्रसाद को बांधकर सजाया जाता है. उसके बाद विधि विधान के साथ पूजा की शुरूआत होती है. बताया जाता है कि प्रकृति से जुड़े यह पर्व भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है. इधर बेंगाबाद के विभिन्न स्थानों पर पूजा स्थल को भव्य तरीके से सजाया गया है.
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