श्रद्धालुओं का जत्था मंगलवार की अलसुबह पर्वत वंदना को निकल गए .श्रद्धालुओं के जयकारों से शिखरजी गुंजायमान हो उठा. जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों की निर्वाण स्थिली सम्मेद शिखर में इन दिनों धार्मिक कार्यक्रमों की धूम है. 17 हजार एकड़ भू-भाग में फैली छोटी बड़ी शृंखलाबद्ध चोटियों वाला पारसनाथ ना केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी शुमार है. पारसनाथ पर्वत की खूबसूरत वादियां पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती हैं. पारसनाथ पर्वत की नौ किलोमीटर की कठिन चढ़ाई के बीच कल-कल बहती गंधर्व व सीता नाला की जलधारा पर्यटकों को रोमांचित करती है.
तराई में बसे मंदिर की पूजा
जत्था में शामिल श्रद्धालुओं ने पहाड़ की तराई में बसे मंदिरों में भी पूजा अर्चना की. मधुबन स्थित सौरभांचल संस्था परिसर में श्री शीलचंद पवन कुमार जी जैन परिवार द्वारा देश के विभिन्न प्रांतों से आये लगभग 1100 तीर्थयात्री पर्वत वंदना एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का लाभ ले रहे हैं. बताया गया कि विगत कई वर्षों से सौरभांचल संस्था के ट्रस्टी राकेश जैन गाजियाबाद आदि समेत अन्य के द्वारा देश के विभिन्न प्रांतों से 1100 यात्रियों को शिखरजी दर्शन को निःशुल्क लाया जाता है.
क्या कहते हैं जैन यात्री
दिल्ली निवासी सुशील जैन ने बताया कि जैन धर्म के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल आकर अपने आप को वे धन्य मानते हैं. दिल्ली निवासी विक्रम जैन ने कहा कि उन्होंने पहली बार पर्वत वंदना की. इस दौरान सभी टोंक का दर्शन किया. इससे पूर्व एक बार 10 साल पहले वे आये थे, लेकिन पर्वत की वंदना नहीं की थी. दिल्ली की ही नैना जैन ने बताया कि पारसनाथ की इस पवित्र धरा पर सौरभांचल ट्रस्ट के ट्रस्टी राकेश जैन के सौजन्य से वह आयी हैं. जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थकरों की निर्वाण भूमि और पारसनाथ की मनोरम वादियों में आकर बहुत आनंद आया. सौरभांचल संस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश जैन गाजियाबाद ने बताया कि विगत कई वर्षो से इस विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल में 1100 एवं उससे भी अधिक श्रद्धालुओं को निजी खर्च से लाने, रहने, भोजन और ले जाने की व्यवस्था उन्होंने की है. यह उनके लिये सौभाग्य की बात है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

