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एसडीएम ने खुद ग्राहक बनकर पूछा रेट, 9000 रुपये में 200 सीएफटी बालू की पुष्टि

प्रभात खबर की रिपोर्ट पर एसडीएम ने की कार्रवाई, डीएमओ से 24 घंटे में मांगी रिपोर्ट

प्रभात इंपैक्ट प्रभात खबर की रिपोर्ट पर एसडीएम ने की कार्रवाई, डीएमओ से 24 घंटे में मांगी रिपोर्ट एसडीएम ने बकोइया के निजी बालू घाट में औचक छापेमारी की प्रभात खबर द्वारा प्रकाशित खबर पर लिया संज्ञान, कारोबारी पर होगी कार्रवाई प्रतिनिधि गढ़वा सदर एसडीएम संजय कुमार ने प्रभात खबर में प्रकाशित समाचार 1500 के चालान पर बिक रहा है नौ हजार का बालू नामक शीर्षक से छपी खबर पर त्वरित संज्ञान लेकर जिले के मझिआंव के बकोइया स्थित बालू डंप यार्ड का औचक निरीक्षण किया. यह बालू घाट किसी लव सिंह के नाम पर है. मौके पर डंप यार्ड के मालिक नहीं मिले लेकिन उनके निकट संबंधी अनुज सिंह एवं उनके प्रबंधक आनंद चौबे तथा कुछ अन्य कर्मचारी मिले. औचक छापेमारी से ठीक पांच मिनट पूर्व जिस व्यक्ति से फ़ोन पर बातचीत करायी गयी थी, उसने अपना नाम आनंद चौबे बताया था. लेकिन जैसे ही एसडीएम मौके पर पहुंचे और नाम पूछा, तो उसने गुमराह करने के लिए अपना नाम आनंद सिंह बताकर यह जताने का प्रयास किया कि वह कोई दूसरा बाहरी व्यक्ति होगा. हालांकि, सख़्ती से पूछताछ के दौरान उसकी टालमटोल देर तक नहीं टिक सकी और अंततः उसने पूरी सच्चाई स्वीकार कर ली. मौके पर मौजूद कर्मचारियों और प्रबंधक ने भी एसडीएम के सामने यह स्वीकार किया कि अब तक बालू की बिक्री 9000 प्रति टिपर पर हो रही थी जिसमें 200 सीएफटी बालू होती है. उन्होंने गलती मानते हुए आगे से ऐसा न करने का वचन देते हुए माफ करने की गुहार लगायी.एसडीएम संजय कुमार ने स्पष्ट कहा कि कोई भी वस्तु जिसकी आपूर्ति सीमित हो और खरीदने वाले आम नागरिक हों उसका विक्रय नियंत्रित दरों पर ही किया जा सकता है. प्रशासन द्वारा कभी भी ऐसी छूट नहीं दी जा सकता कि 1500 की वस्तु सरकारी भंडार से खरीद कर उसे निजी स्तर पर 9000 में बेची जाये. उन्होंने इस विषय को गंभीर मामला मानते हुए कठोर कार्रवाई करने की बात कही और साथ ही ज़िला खनन पदाधिकारी से इस पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा कि किन परिस्थितियों में ऐसा हुआ. मौके पर बालू लदा हुआ एक ट्रक खड़ा मिला जो संभवत गंतव्य की ओर रवाना होने वाला था.लेकिन न ही ड्राइवर न ही प्रबंधक यह बता पाये कि आखिर उस बालू ट्रक का खरीदार कौन है. पूछने पर ज्ञात हुआ कि यह ट्रक किसी रिंकू तिवारी का है, जबकि स्थानीय नागरिकों से मिली जानकारी के अनुसार रिंकू तिवारी ही जेएसएमडीसी यार्ड के पूर्व एमडीओ थे. स्थानीय स्तर पर यह भी जानकारी मिली कि जेएसएमडीसी के यार्ड से बालू उठाकर निकट के दूसरे प्लाट में डालकर यह दिखाने का प्रयास किया गया कि यह निजी यार्ड है. एसडीएम ने डीएमओ से इस बात का भी प्रतिवेदन मांगा है कि वे जांच करके प्रतिवेदित करें कि सरकारी सैंड यार्ड से निजी यार्ड में बालू का जो स्थानांतरण हुआ है उसका क्या आधार था, किस कीमत पर था और उसके क्या दस्तावेजी प्रमाण हैं.उन्होंने यह भी कहा कि कई कल्याणकारी योजनाओं जैसे अबुआ आवास एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुक प्रायः निम्न आय वर्ग से आते हैं. यदि उन्हें इस निजी यार्ड से मनमाने दामों पर बालू ख़रीदनी पड़ी, तो संभव है कि वे इतनी अधिक राशि न चुका सकें और योजनाओं की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े.इस संदर्भ में एसडीएम ने ज़िला खनन पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि अनुमंडल क्षेत्र में कहीं भी अनुचित एवं गैर-समानुपाती अनाप-शनाप दरों पर बालू की बिक्री न हो, विशेष कर पंजीकृत घाटों पर.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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