फोटो नंद कुमार रंका. गढ़वा के रंका में रथयात्रा निकाले जाने की परंपरा काफी पुरानी हैं .परंपरा के अनुसार प्रत्येक वर्ष रंका में रथयात्रा निकाला जाता हैं इस वर्ष शुक्रवार को रथयात्रा हैं इसे लेकर सभी तैयारी पूरी कर ली गयी हैं .धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ स्वामी के रथ में लगे रस्सी खींचना काफी महत्वपूर्ण होता हैं .रंका में निकलने वाले रथ यात्रा में रस्सी खींचने के लिए न सिर्फ रंका बल्कि दूरदराज से भी लोग यहां पहुंचते हैं .रथयात्रा के मौके पर रंका धार्मिक श्रद्धा और उल्लास का अदभुत संगम देखने को मिलता हैं . 285 वर्ष पुरानी परंपरा हैं रंका की रथयात्रा राजा कुमार गोवर्धन प्रसाद सिंह की मानें तो रंका में रथयात्रा की परंपरा 285साल पुरानी हैं. इस साल रंका में निकाले जाने वाली रथयात्रा 286 वें वर्ष में प्रवेश करने जा रही है. इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है. रंका में रथयात्रा पर्व काफी लोकप्रिय है. इसमें प्रभु के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं .परंपरा के अनुसार 14 दिनों के एकांतवास के बाद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को स्नान यात्रा के पश्चात श्रद्धालुओं को दर्शन कराया गया . जैसे ही विशेष पूजा अर्चना के बाद रथ निकलता है, श्रद्धालु रथ की रस्सी खींचने के लिए उमड़ पड़ते हैं. रथयात्रा के दौरान स्थानीय पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था का विशेष इंतजाम किया गया हैं .परंपरा के मुताबिक भगवान जगन्नाथ स्वामी ,बलभद्र और सुभद्रा मौसी के घर आठ दिनों तक रहने के पुनः अपने घर ठाकुरबाड़ी मंदिर पहुंचते हैं . इसे घुरती रथयात्रा कहा जाता है. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के मौसी के घर को भी सजा दिया गया है. यहां भगवान को पहुंचने के बाद 108 दीप जलाकर एवं 56 भोग लगाकर आरती उतारी जायेगी. इसे सफल बनाने में कुमार गुलाब सिंह, कुमार गौरव सिंह, सुनील कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, शिक्षक धीरज सिंह, रविशंकर सिंह आदि सक्रियता के साथ लगे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

