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रक्षाबंधन से पहले मिठास की आड़ में परोसा जा रहा जहर

मिलावटी जानलेवा मिठाई का केंद्रबिंदु बनता जा रहा गढ़वा

जितेंद्र सिंह, गढ़वा रक्षाबंधन जैसे पावन पर्व पर जब बहनें भाइयों की कलाई पर प्रेम की डोरी बांधती हैं और मिठाइयों से रिश्ते की मिठास बढ़ायी जाती है, ठीक उसी समय गढ़वा का बाजार मिलावटखोरी की जहरीली साजिश में लिपटा मिला. गढ़वा जिले में रक्षाबंधन के मौके पर खुलेआम दो टन तक मिलावटी मिठाइयां बिकती हैं, जिनमें प्लास्टिक, सिंथेटिक दूध, घटिया खोवा और रंगीन रसायनों का बेहिचक इस्तेमाल होता है. यह न सिर्फ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि प्रशासनिक ढिलाई और तंत्र की विफलता का भी आईना है. जिले में अब तक एसडीएम की कार्रवाई में कुल 72 क्विंटल संदिग्ध मिठाई जब्त की गयी है.

मिलावटखोरी का सुरक्षित गढ़ है गढ़वा

गढ़वा की भौगोलिक स्थिति इसे यूपी, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से जोड़ती है, जो इसे मिलावटी मिठाइयों के कारोबार का आदर्श केंद्र बनाती है. वाराणसी, फूलपुर, गया, सासाराम और डेहरी जैसे शहरों से रोजाना 4-5 पिकअप में सिंथेटिक मिठाइयां यहां लायी जाती हैं और जिले भर में सप्लाई होती हैं. यह मिठाइयां न केवल स्वाद में आम मिठाइयों जैसी लगती हैं, बल्कि इन्हें सस्ते व आकर्षक पैकेट में बेचकर ग्राहक को भ्रमित किया जाता है.

मुनाफा तीन गुना, नैतिकता शून्य

पहले सिर्फ खोए की मिठाइयों तक सीमित मिलावट थी, लेकिन अब रसगुल्ला, बर्फी, लड्डू, सोनपापड़ी और मिल्क केक तक फैल चुकी है. वजह है त्योहारों के समय बढ़ी मांग और उपभोक्ता की अज्ञानता. मिलावटखोर मिठाई पर तीन गुना मुनाफा कमाते हैं, जबकि उपभोक्ताओं को स्वाद के पीछे छिपा जहर नजर नहीं आता.

शहर की सड़कों पर सजती हैं जहरीली मिठाइयों की दुकानें त्योहारों और शादी-ब्याह के सीजन में गढ़वा की सड़कों और गलियों में मिठाई की अस्थायी दुकानें सज जाती हैं, जहां ज्यादातर मिलावटी मिठाइयां ही बिकती हैं. हैरत की बात है कि जिले में केवल 10% दुकानें ही गुणवत्तापूर्ण मिठाई बेचती हैं.

एसडीएम की कार्रवाई के बाद हुआ खुलासा

मिलावटी मिठाइयों के बड़े कारोबार का खुलासा तब हुआ जब मंगलवार को सदर एसडीएम संजय कुमार ने छापेमारी की. जहां 50 क्विंटल से अधिक मिठाइयों का संदिग्ध स्टॉक मिला. बुधवार को भी एसडीएम ने बाजार समिति परिसर के एक गोदाम में छापेमारी की, जहां दो क्विंटल मिठाई का भंडार मिला. इसके बाद लिये गये मिठाई के नमूनों की जांच में सामने आया की वह मिठाई खाने योग्य बिल्कुल नहीं है.

बनारस की डिब्बाबंद मिठाई भी शक के घेरे में

एसडीएम के अनुसार, बरामद मिठाइयों में से 40 क्विंटल मिठाई डिब्बाबंद थीं, जिन पर फूड लाइसेंस, एक्सपायरी डेट और निर्माता कंपनी का नाम भी था. मगर प्राथमिक जांच में वे भी फेल हो गयीं. सैंपल को रांची लैब में भेजा गया है. यदि वहां भी मिठाइयां फेल पायी गयी तो बनारस की उस कंपनी पर भी कार्रवाई होगी.

कौन हैं इस मिलावट कारोबार के बड़े चेहरे

गढ़वा एडीएम संजय कुमार ने बताया कि शहर के दो प्लास्टिक व्यवसायी परमपूरी प्लास्टिक व मनीष प्लास्टिक इस कारोबार में लिप्त हैं. उन्होंने बताया कि गुप्त सूचना पर दोनों कारोबारी के यहां छापेमारी की गयी थी. परमपूरी प्लास्टिक के तीनकमरों के अंडरग्राउंड गोदाम में छापेमारी के दौरान टीने व पैकेट में रखीं मिठाइयां पायी गयीं थी. उन्होंने कहा कि फिलहाल मामले की छानबीन की जा रही है.

चार अधिकारियों के संयुक्त दल ने की जांच

अनुमंडल पदाधिकारी व सिविल सर्जन ने इस संदर्भ में बुधवार को आकस्मिक बैठक के बाद चार सदस्यीय टीम गठित कर गुणवत्ता परीक्षण का निर्णय लिया. तदनरूप अंचल अधिकारी सफी आलम, खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अंजना मिंज, सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉक्टर संजय कुमार व प्रभारी थाना प्रभारी के दल के ने प्लास्टिक व्यवसायी के ठिकानों पर पहुंचकर गुणवत्ता व अन्य पहलुओं की जांच की.

मिलावटी मिठाई बन सकती है गंभीर बीमारियों की वजह: डॉ मनीष कुमार सिंह

गढ़वा के फिजिशियन डॉ मनीष कुमार सिंह ने बताया कि मिलावटी मिठाइयों में उपयोग किए जाने वाले हानिकारक रसायन कैंसर का कारण बन सकते हैं. ऐसे मिठाइयों के सेवन से लीवर और किडनी में सूजन, ब्रेन पर प्रभाव, फूड प्वाइजनिंग, डायरिया और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. लगातार सेवन से यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं में बदल सकता है, जिनका इलाज बेहद कठिन और खर्चीला होता है. लोगों अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क और सजग रहने की जरूरत है. खासकर त्योहारों के समय खुले या सस्ते दर पर मिलने वाली मिठाइयों से परहेज करें.

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