केतार(गढ़वा). पांच जून को जहां पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस के अवसर पर पोधारोपण किया जा रहा है, वहीं जंगलों से घिरे केतार प्रखंड में इस दिवस पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी. 50 हजार की आबादीवाले केतार प्रखंड में वर्तमान में चार ईंट-भट्ठे पर्यावरण को दूषित करने में दिन-रात लगे हैं. भट्ठा मालिकों द्वारा सैकड़ों एकड़ वन भूमि क ा अतिक्रमण कर मिट्टी के लिए जंगलों क ो काटा जा रहा है. नारायण वन से हजारों ट्रैक्टर पत्थर खोद कर पहाड़ों को संवेदकों द्वारा खाई में तब्दील कर दिया गया. वहीं परसोडीह के जंगल से अभी भी पत्थर की तुड़ाई का काम जारी है. केतार की लाइफ लाइन पंडा नदी भी दम तोड़ चुकी है. क्योंकि नदी के किनारे रहनेवाले लोग नदी का अतिक्रमण कर खेती करना शुरू कर दिये हैं. प्रतिदिन हजारों क्विंटल हरे पौधों को काटा जा रहा है, जिसके कारण यहां के जंगलों में रहनेवाले जानवर गायब हो चुके हैं. क्षेत्र के नौजवान रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं.
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पर्यावरण दिवस पर किसी ने नहीं दिखायी दिलचस्पी
केतार(गढ़वा). पांच जून को जहां पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस के अवसर पर पोधारोपण किया जा रहा है, वहीं जंगलों से घिरे केतार प्रखंड में इस दिवस पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी गयी. 50 हजार की आबादीवाले केतार प्रखंड में वर्तमान में चार ईंट-भट्ठे पर्यावरण को दूषित करने में दिन-रात लगे हैं. भट्ठा मालिकों द्वारा […]
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