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10 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि ही होती है सिंचित

गढ़वा : गढ़वा जिला सिंचाई के मामले में काफी पिछड़ा रहा है. यहां की कृषि योग्य 135730.50 हेक्टेयर कुल भूमि में से 10 प्रतिशत भूमि भी सिंचित नहीं है. इसके कारण यहां की खेती पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर रहती है. यदि मॉनसून अनुकूल रहा, तो यहां खरीफ फसल की गारंटी रहती है. इसके […]

गढ़वा : गढ़वा जिला सिंचाई के मामले में काफी पिछड़ा रहा है. यहां की कृषि योग्य 135730.50 हेक्टेयर कुल भूमि में से 10 प्रतिशत भूमि भी सिंचित नहीं है. इसके कारण यहां की खेती पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर रहती है.

यदि मॉनसून अनुकूल रहा, तो यहां खरीफ फसल की गारंटी रहती है. इसके बाद पांच प्रतिशत भाग को छोड़ कर शेष भूमि सिंचाई के अभाव में परती रह जाती है. इसके कारण यहां के किसान एवं खेतीहर मजदूरों की आर्थिक दशा दयनीय रहती है. खेतीहर मजदूर काम की खोज में बाहर के राज्यों में पलायन करने को मजबूर होते हैं.

ऐसी बात नहीं कि आजादी के बाद गढ़वा जिले के लिए सिंचाई योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हुआ. बल्कि कनहर जलाशय परियोजना के अलावा भी करीब डेढ़ दर्जन सिंचाई योजनाएं बनीं. इनमें से 13 योजनाएं पूरी भी हुईं. लेकिन ये योजनाएं अपने लक्ष्य से काफी पीछे रह गयीं.

गढ़वा जिले में क्रियान्वित सभी योजनाओं को मिलाकर यहां की 40 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि को सिंचित होना चाहिए था. यदि इसमें अब तक सरकारी स्तर पर बनाये गये कूप को जोड़ लें, तो यह आंकड़ा और बढ़ जायेगा. लेकिन स्थिति विपरीत है.

अभी तक जिले की कुल कृषि योग्य भूमि में से मुश्किल से मात्र 10 प्रतिशत पर सिंचाई हो रही है.
– विनोद पाठक –

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