धुरकी : शौचालय में शौच जाने की केंद्र सरकार की योजना धुरकी प्रखंड में विफल साबित हो रही है. 45 हजार आबादीवाले इस प्रखंड में अभी भी 90 प्रतिशत आबादी खुले मैदान में शौच करती है. यद्यपि केंद्र प्रायोजित योजना के तहत सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर से प्रखंड में करीब दो हजार शौचालय का निर्माण कराया गया.
किंतु यह पूरी तरह से विफल साबित हुई है. जो शौचालय बनाया गया, उसमें एक भी कारगर नहीं है.
घटिया स्तर का निर्माण कुछ काम न आया : सरकारी योजना के तहत बीपीएल परिवारों के लिए शौचालय का निर्माण करना था. नियम के मुताबिक इसके तहत लाभार्थी को 300 रुपये लगाना था तथा 2200 रुपये सरकारी सहयोग देना था. लेकिन यह कारगर नहीं हुआ.
शौचालयों के निर्माण में दो से तीन फीट गड्ढा खोद कर घटिया स्तर की ईंट से जोड़ा गया. बरसात आते ही यह पानी से भर गया. इस कारण जिन घरों में शौचालय बनाये गये, वहां के लोग भी खुले मैदान में शौच के लिए जाने को विवश हैं.
प्रखंड कार्यालय में भी नहीं है शौचालय : और तो और, इस प्रखंड के सरकारी कार्यालयों में भी शौचालय नहीं है. प्रखंड कार्यालय में भी शौचालय नहीं है. जबकि यहां प्रखंड कर्मियों के अलावा विभिन्न गांवों से पुरुष एवं महिलाएं प्रतिदिन आती हैं. ग्रामीणों की बात कौन कहे, प्रखंड में कार्य करनेवाले कर्मियों को भी बाहर निकल कर ही शौच करना पड़ता है.
विदित हो कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग प्रकल्प द्वारा प्रखंड परिसर में दो शौचालय का निर्माण कराया गया, लेकिन बिना दीवार खड़ा किये, सिर्फ घटिया स्तर का एक पैन बैठा दिया गया. जो बेकार पड़ा हुआ है.
नये भवन में बनेगा शौचालय (बीडीओ) इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभात कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रखंड परिसर में शौचालय नहीं रहने से परेशानी हो रही है. नये भवन में इसका प्रोविजन रखा गया है. पहले बनाये गये भवन में शौचालय नहीं बने हैं, उसके विषय में उन्हें जानकारी नहीं है.
– अनूप जायसवाल –