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कौन-सी बीमारी फैली है गढ़वा में, जिसने 5 दिन में ले ली 17 जानें

गढ़वा : गढ़वा जिला के रमकंडा प्रखंड में मलेरिया का प्रकोप जारी है. शनिवार को दो लोगों की मौत होने के साथ महज पांच दिन में जिले में मलेरिया 17 लोगों की जान ले चुका है. इसमें 15 लोगों की मौत सिर्फ एक प्रखंड रमकंडा में हुई है. बताया जाता है कि प्रखंड के दर्जनों […]

गढ़वा : गढ़वा जिला के रमकंडा प्रखंड में मलेरिया का प्रकोप जारी है. शनिवार को दो लोगों की मौत होने के साथ महज पांच दिन में जिले में मलेरिया 17 लोगों की जान ले चुका है. इसमें 15 लोगों की मौत सिर्फ एक प्रखंड रमकंडा में हुई है. बताया जाता है कि प्रखंड के दर्जनों गांव मलेरिया की चपेट में हैं. उपायुक्त के निर्देश पर प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य कैंप लगाये जा रहे हैं. डीडीटी का छिड़काव बी हो रहा है. लेकिन, प्रखंड स्वास्थ्य पदाधिकारी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि प्रखंड में हो रही मौतें मलेरिया से ही हो रही हैं.

यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों का ढंग से इलाज तक नहीं हो रहा है. शुक्रवार को गंभीर रूप से बीमार रेशमा को लेकर उसके परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे. यहां उसके खून की जांच की गयी, तो पता चला कि वह मलेरिया से पीड़ित है. चिकित्सा पदाधिकारी ने तत्काल उसका इलाज शुरू करने की बजाय उसे गढ़वा सदर अस्पताल रेफर कर दिया.

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रमकंडा से गढ़वा जाते समय रास्ते में ही रेशमा की मौत हो गयी. रेशमा के परिजनों ने बताया कि उसे चार दिन से बुखार था. पैसे के अभाव में उसका इलाज नहीं करा पायी. कसमार गांव में उसकी झाड़-फूंक करायी गयी, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसके बाद उसे लेकर अस्पताल आये थे. फिर भी उसे बचा नहीं सके.

इसी तरह संजय भुइयां ने अपने बेटे का इलाज मेडिकल कैंप में कराया. यहां से उसे गढ़वा रेफर कर दिया गया. गढ़वा में समुचित इलाज नहीं मिला, तो उसके परिजन बेहतर चिकित्सा के लिए उसे मेदिनीनगर ले गये. संजय के बेटे की वहां मौत हो गयी.

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प्रखंड के लोग बताते हैं कि अस्पताल में जांच की कोई व्यवस्था ही नहीं है. यहां सिर्फ दवा उपलब्ध है. जांच के अभाव में बीमारी पकड़ में नहीं आती और मरीज मर जा रहे हैं. डॉक्टरों की उदासीनता और अपनी गरीबी के कारण लोग झाड़-फूंक में ज्यादा विश्वास करने लगे हैं. लोगों ने मांग की है कि गांव-गांव में स्वास्थ्य जांच शिविर लगायी जाये. लोगों को जागरूक किया जाये, ताकि बीमार पड़ने पर वे ओझा-गुनी के पास जाने से बचें और डॉक्टरों की सेवा लें.

इस संबंध में पूछे जाने पर चिकित्सा पदाधिकारी डॉ गौतम यादव ने कहा कि मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में कैंप लगाये जा रहे हैं. विभाग से मेडिकल टीम बढ़ाने की मांग की गयी है, ताकि जल्द से जल्द प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का समुचित इलाज किया जा सके.

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दूसरी तरफ, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शुक्रवार को अस्पताल में इलाज के लिए आये चार लोगों में मलेरिया के जीवाणु मिले. सीटू सिंह के पुत्र दशरथ सिंह और गुड्डू कुमार को रेफर कर दिया गया. मीणा देवी और हरि साव का अस्पताल में इलाज चल रहा है. बिराजपुर गांव में डॉ कुलदेव चौधरी के नेतृत्व में लगातार दूसरे दिन चिकित्सा शिविर लगाया गया. यहां करीब 60 मरीजों का इलाज किया गया. इनमें वायरल फीवर, सर्दी खांसी के लक्षण पाये गये.

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