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आज तक खेतों में नहीं पहुंचा पानी

मझिआंव : मझिआंव प्रखंड की खजूरी जलाशय योजना के क्रियान्वयन के तीन दशक बाद भी इसका पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच सका है. प्रखंड में सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 1987 में तत्कालीन बिहार की कांग्रेस सरकार ने इस योजना को मंजूरी दी थी. उस समय ढाई करोड़ की […]

मझिआंव : मझिआंव प्रखंड की खजूरी जलाशय योजना के क्रियान्वयन के तीन दशक बाद भी इसका पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच सका है. प्रखंड में सिंचाई की समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 1987 में तत्कालीन बिहार की कांग्रेस सरकार ने इस योजना को मंजूरी दी थी.
उस समय ढाई करोड़ की लागत से बीरबंधा गांव के पास इस योजना की आधारशिला रखी गयी थी. इस योजना को लेकर प्रखंड के किसानों में काफी खुशी हुई थी. उन्हें आशा थी कि इस योजना के पूरा हो जाने से उन्हें हर साल के सूखा और अकाल से मुक्ति मिल जायेगी.
खजूरी नदी के पानी से वे खरीफ और रबी कम से कम दो फसल आसानी से उगा सकेंगे. लेकिन यह आश देखते-देखते एक पीढ़ी गुजर चुकी है, लेकिन इस योजना के लाभुक किसानों के खेतों में आजतक खजुरी डैम का पानी नहीं पहुंच सका है. यद्यपि इस बीच इस डैम को बांधने से लेकर नहर क्षेत्र में आनेवाले खेतों के मुआवजा का काम भी लगभग निपटाया जा चुका है. बावजूद अभीतक नहर का कार्य पूरा नहीं हो सका है.
जल संसाधन मंत्री ने दिखायी है गंभीरता
वर्तमान विधायक सह राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की पहल पर कुछ माह पहले राज्य के जल संसाधन मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने खजुरी डैम का निरीक्षण किया था़ इस दौरान आयोजित सभा में मंत्री श्री चौधरी ने नहर के कार्य को पूरा कर डैम के पानी को किसानों के खेतों तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता दुहरायी है़ इससे लोगों में एक बार पुन: उम्मीद जगी़ लेकिन नाहर का कार्य पूरा नहीं हो पाने के कारण इस बरसात में भी किसानों को खजुरी डैम का पानी के लिये तरसना पड़ेगा़
एक सप्ताह पूर्व हुआ है स्पेलवे का शिलान्यास
पिछले सप्ताह भाजपा नेता सह मंत्री पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी ने पहल कर कार्यपालक अभियंता राजकुमार प्रसाद की उपस्थिति में डैम के टूटे हुए स्पेलवे का निर्माण कार्य का शिलान्यास किया जा चुका है़
लेकिन भूमि के मुआवजे को लेकर डैम से लगभग तीन किमी की दूरी पर नहर की निकासी नहीं हो सकी है़ जबकि उसके आगे नहर की खुदाई करीब 20 वर्ष पहले ही हो चुकी है़ विदित हो कि जब तक डैम के फाटक के पास से नहर की निकासी नहीं होगी, तब तक डैम का पानी किसानों के खेतों तक नहीं पहुंच पायेगा़
1987 में मुख्यमंत्री ने किया था शिलान्यास
खजुरी डैम के निर्माण के लिए वर्ष 1987 में विश्रामपुर क्षेत्र के तत्कालीन विधायक चंद्रशेखर दूबे के प्रयास से बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दूबे ने आधारशिला रखी थी़ इस डैम से मझिआंव प्रखंड के एक दर्जन से अधिक गांवों को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था़, तब से काम भी त्वरित गति से शुरू हुआ़ लेकिन बीच में डैम के डूब क्षेत्र के विस्थापितों के मुआवजे की मांग को लेकर तत्कालीन नक्सली संगठन के हस्तक्षेप के कारण वर्षों तक काम अधर में लटक गया़
वर्ष 2000 में झारखंड का भी निर्माण हुआ़, लेकिन खजुरी डैम का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया़ यद्यपि इस बीच डैम के डूब क्षेत्र के सभी विस्थापितों के मुआवजे का भुगतान किया जा चुका है़ पिछले साल ही डैम के डूब क्षेत्र के लोगों को सरकार द्वारा मुआवजा दिया जा चुका है़ अधिकांश किसान मुआवजा ले भी चुके हैं. करीब तीन किमी की भूमि के मुआवजे की खानापूर्ति भी की जा चुकी है़
लेकिन इसके बाद भी नहर की खुदाई का कार्य शुरू नहीं हो पाया़ लाभान्वित किसानों का कहना है कि जब तक इस डैम से निकली नहर का पुन: सर्वे नहीं किया जाता, तब तक नहर का कार्य पूरा करना संभव नहीं दिखता़

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