डुमरिया .
डुमरिया प्रखंड के पितामहली गांव स्थित गाड़ियाटांड़ी टोला के लोग आज भी आदिम युग में जीने को विवश हैं. बीमार या गर्भवती को ग्रामीण खटिया पर लगभग दो किमी पैदल दीघी या पितामहली गांव तक पहुंचते है. इसके बाद एंबुलेंस या अन्य वाहन से अस्पताल ले जाते हैं. टोला तक जाने के लिए दो किमी सड़क नहीं है. पगडंडी के बीच नाला है, जिससे वाहन गाड़ियाटांड़ी तक नहीं जा सकता है. सोमवार को ऐसी ही घटना से ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है. दरअसल, गाड़ियाटांडी टोला निवासी सोमा जामुदा की पत्नी धादकी जामुदा (40 वर्षीय) सुबह लकड़ी के चूल्हे पर खाना पका रही थी. इस दौरान चादर में आग लगने से बुरी तरह झुलस गयी. धादकी चिल्लाने लगी, तो आस पास के ग्रामीणों ने किसी तरह आग बुझायी. तबतक धादकी काफी जल चुकी थी. उसे इलाज के लिए अस्पताल लेने की बारी आयी, तो ग्रामीणों की चिंता बढ़ गयी. गांव तक पहुंचने की दो किमी सड़क जर्जर व पगडंडी जैसी है. रास्ते में नाला है, जहां कोई वाहन नहीं पहुंच सकता. ग्रामीणों ने मरीज को खटिया पर लेटाकर कंधों के साहेर दीघी गांव तक लगभग दो किमी बड़ी मुश्किल से लाये. वहां से एंबुलेंस से मरिया सीएचसी लाया गया. सीएचसी के चिकित्सकों ने मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए रेफर कर दिया.सड़क व पुलिया की मांग पर वोट बहिष्कार कर चुके हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं होने के कारण हम अभिशप्त जिंदगी जी रहे हैं. सड़क नहीं होने के कारण हमारे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. पहाड़ी रास्ता होने के कारण बच्चों को अकेले स्कूल भेजना आफत है. मूलभूत सुविधाओं से हम वंचित हैं. सड़क व पुलिया निर्माण की मांग को लेकर पिछले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं. आज तक मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया. आज तक न सड़क बनी, न नाला पर पुलिया.
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