गुड़ाबांदा.
गुड़ाबांदा प्रखंड में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से करीब 10 हजार किसान परेशान हैं. वे साल में सिर्फ एक बार बरसात में धान की उपजाते हैं. बाकी समय खेत परती रहते हैं. किसानों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की, पर पहल नहीं हुई. हालांकि, प्रखंड में 60 से अधिक चेकडैम और एक नहर है. वहां सिर्फ बरसात में पानी रहता है. ऐसे में किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है. चेकडैम और नहर में पानी रोककर सिंचाई के उपयोग में लाने के लिए आज तक कोई प्रयास नहीं किया गया. चेकडैम कचरा से भरा है. इससे ज्यादा दिनों तक पानी नहीं ठहरता है.पांच किमी दूर से पानी लाकर खेती करते हैं कई किसान
किसानों का कहना है कि सरकार हमारे के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन धरातल पर लाभ नहीं मिल रहा है. खेत परती पड़े हैं. धान की खेती के बाद खेत परती रह जाते हैं. जिन किसानों के पास निजी तालाब व बोरिंग हैं, वे थोड़ा बहुत खेती करते हैं. इसमें सब्जी, सरसों आदि उगाते हैं. कई किसान सब्जी की खेती के लिए पांच किमी दूर से पानी लाते हैं.व्यवस्था हो, तो खाद्यान पर आत्मनिर्भर होगा प्रखंड
किसानों का कहना है कि अगर सरकार क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करा दे, तो जिले को दलहन, तेलहन सहित गेहूं व अन्य खाद्यान्नों पर आत्मनिर्भर बनाया जा सकते हैं. गुड़ाबांदा से होकर मुख्य दायीं नहर गुजरी है, पर नहर का पानी किसानों को नहीं मिलता है. सीधे ओडिशा जाता है. इस नहर में सिर्फ बरसात में पानी छोड़ा जाता है.सरकार अनुदान पर बोरिंग की व्यवस्था करे : किसान
किसान कहते हैं कि सिंचाई के लिए क्षेत्र में बिजली के पोल गाड़ कर तार खींचे गये हैं, लेकिन बोरिंग ही नहीं है. किसान बिजली का क्या उपयोग करेंगे. कई किसानों ने निजी खर्च से डीप बोरिंग की है. इस क्षेत्र में क्षेत्र में कृषि योग्य 9337.26 हेक्टेयर से अधिक भूमि है. इन खेतों पर प्रखंड की आठ पंचायतों के किसान खेती करते हैं. साल में एक बार सिर्फ धान ओर रबी में आलू, टमाटर, करेला, खीरा, तरबूज आदि की उपज किसान खेत से प्राप्त करते हैं. किसान लाल मोहन ने कहा कि क्षेत्र के किसानों को सरकार अनुदान पर बोरिंग कराने की व्यवस्था करे, तो किसान को सिंचाई का साधन मिल सकता है. साल में दो फसल आसानी से उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं.
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