गालूडीह. घाटशिला प्रखंड की पंचायतों में अबतक हजारों शौचालय बने हैं. सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर में शौचालय का निर्माण कराया था. घरों में शौचालय बन गये, लेकिन पानी की कमी से ग्रामीण उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. ग्रामीण शौचालय में लकड़ी रखते हैं या बकरी और मवेशी बांधते हैं. बरसात में शौचालय जंगल झाड़ियों से घिर गया है. ऐसे में ज्यादातर शौचालय बेकार हो गये हैं. कुछ वर्ष पहले एक-एक शौचालय पर 12-12 हजार रुपये खर्च किये गये थे. इनमें से कुछ शौचालय ही उपयोग के लायक हैं. जर्जर अवस्था और पानी की कमी से शौचालय का इस्तेमाल ग्रामीण नहीं कर रहे हैं. ग्रामीणों को मजबूरन खुले में शौच जाना पड़ रहा है. कुछ लोगों ने कुछ रुपये लगाकर बेहतर और अच्छा शौचालय बनाया था. सफाई के अभाव में यहां गंदगी का अंबार है. इससे अब लोग इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं. आलम यह है कि शौचालय का प्रयोग गोदाम के रूप में किया जाता है. ग्रामीणों से बात करने पर बताया कि पानी की असुविधा के कारण शौचालय का इस्तेमाल नहीं करते हैं. ग्रामीण खुले में शौच जाते हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोग तालाब- पोखर, नदी के आसपास खुले में शौच जाना ज्यादा पसंद करते हैं. इससे स्वच्छता अभियान की धज्जियां भी उड़ रही है.
सबरों के लिए बना शौचालय हुआ ध्वस्त:
हलुदबनी समेत कई सबर बस्तियों में शौचालय बने थे, जो अब ध्वस्त हो चुके हैं. शौचालय के दरवाजे टूट गये हैं. दीवार कई जगह ढह गयी है. देखने वाला कोई नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

