डुमरिया. डुमरिया प्रखंड अंतर्गत रांगामाटिया गांव के दासोदीह टोला निवासी 53 वर्षीय हामी मुर्मू की सोमवार को डुमरिया सीएचसी में मौत हो गयी. वह गंभीर बीमारी सिलिकोसिस से पीड़ित था. हामी मुर्मू ने पूर्व में सफेद पत्थर के क्रशर में चार वर्ष काम किया था. वहां क्वार्ट्ज पत्थर से पाउडर और चार प्रकार का दाना तैयार होता था. उनके परिवार में पत्नी सलमा मुर्मू व पुत्र बाबूराम मुर्मू हैं. उक्त जानकारी ओशाज इंडिया संस्था के सचिव सुमित कुमार कर व झारखंड लेबर यूनियन के सचिव मोताई सुंडी ने संयुक्त रूप से दी. उन्होंने बताया कि पुरनापानी व केंदाडीह के सफेद पत्थर क्रशर ने मौत बांटी है. डुमरिया ब्लॉक के 200 ग्रामीण समेत मुसाबनी व गुड़ाबांदा के 1200 से अधिक मजदूरों ने पुरनापानी व केंदाडीह स्थित सफेद पत्थर के क्रशर कार्य किया. मजदूरों में अबतक डुमरिया के 39, मुसाबनी के 88 व गुड़ाबांदा के 12 मजदूरों की मौत सिलिकोसिस से चुकी है. बंगाल व अन्य जिलों तथा राज्य से आये प्रवासी मजदूरों का आकड़ा इसमें शामिल नहीं है. तीनों ब्लॉक के 600 से अधिक मजदूर सिलिकोसिस से पीड़ित हैं. धालभूमगढ़ और चाकुलिया के 388 मजदूरों ( धालभूमगढ़ के सफेद पत्थर क्रशर में कार्यरत थे) में 40 की मौत हो चुकी है. 190 से अधिक मजदूर सिलिकोसिस से पीड़ित हैं. पूर्वी सिंहभूम के अन्य सभी ब्लॉक के मजदूरों को जोड़ा जायेगा, तो सिलिकोसिस से मृतकों की संख्या 1200 से 1300 से अधिक हो चुकी है. ओशाज ने सरकार से आश्रितों के लिए मांगा मुआवजा ओशाज इंडिया ने सरकार से मांग की है कि हामी मुर्मू के आश्रित को 10 लाख रुपये मुआवजा, उनके पुत्र को सरकारी नौकरी, मृतक के पत्नी को 5000 रुपये प्रति माह पेंशन देने की प्रक्रिया शुरु की जाये. जिले के सभी सीएचसी में 300 एमए एक्स-रे मशीन व लंग्स इंफेक्शन टेस्ट मशीन लगायी जाये तथा पर्याप्त ऑक्सीजन की व्यवस्था हो. उनका कहना है कि झारखंड सरकार ने सिलिकोसिस पीड़ितों के लिए पुनर्वास योजना, कारखाना सिलिकोसिस लाभुक सहायता योजना 2021 के नाम से योजना तैयार किया, जो दरअसल दिखावा है. सिलिकोसिस पीड़ितों जो अधिकतर आदिवासी और पिछड़ा समुदायों से आते हैं. उन्हें चिह्नित कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान किया जाये. उन्हें न्याय और सम्मान मिल सके.
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