घाटशिला
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घाटशिला प्रखंड की कालचिती पंचायत में पहाड़ के नीचे बसे छतरडांगा गांव की फलमुनी सबर अपनी लगन और मेहनत से समाज को शिक्षा के लिए प्रेरित कर रही है. हालांकि, गरीबी उसकी शिक्षा में बाधा बन रही है. आवेदन के बावजूद वह मंईयां योजना व छात्रवृत्ति योजना से वंचित है. गांव में लगभग 22 सबर परिवार हैं. ज्यादातर परिवार में शिक्षा का अभाव है. फलमुनी ने वर्ष 2021 में गालूडीह कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय से मैट्रिक पास की. 2023 में चाकुलिया कस्तूरबा आवासीय विद्यालय से इंटर उत्तीर्ण की. वर्तमान में घाटशिला के बीडीएसएल महिला कॉलेज से इतिहास विषय में ऑनर्स तृतीय सेमेस्टर की छात्रा है. फलमुनी का सपना शिक्षिका बनना है. वह चाहती है कि ग्रामीण और गरीब तबके की लड़कियों को शिक्षा से जोड़कर आगे बढ़ने में मदद मिले. आर्थिक तंगी उसकी राह में बड़ी चुनौती है. फलमुनी ने बताया कि मंईयां योजना के लिए कई बार आवेदन दिया, लेकिन योजना का लाभ अब तक नहीं मिला.पढ़ाई जारी रखना हुआ कठिन
उसे स्टाइपेंड की राशि नहीं मिलती है. पढ़ाई जारी रखना कठिन हो रहा है. उसके पिता करगा सबर मजदूरी करते हैं. जंगल से लकड़ी चुनकर व बकरी चराकर परिवार का खर्च चलाते हैं. माता तारिणी सबर ने बताया कि उन्हें केवल एक हजार रुपये पेंशन और राशन मिलता है. फलमुनी के दो भाई सुखलाल सबर और गोम्हा सबर इंटर पास हैं. निजी कंपनियों में काम करते हैं. गांव में अधिकतर सबर परिवार मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं. हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ फलमुनी के परिवार को मिला है. छतरडांगा गांव के मुखिया बैजनाथ मुर्मू ने भी स्वीकार किया कि फलमुनी सबर के आवेदन बार-बार भेजे गये हैं. प्रखंड कर्मचारियों का कहना है कि मंईयां योजना का पोर्टल अक्सर बंद रहता है, जिसके कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है.
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