गालूडीह. गालूडीह से सटे उलदा गांव में स्लैग युक्त प्रदूषित जहरीले पानी से करीब 39 किसानों के धान की फसल बर्बाद हो गयी है. किसानों के आंदोलन के बाद कंपनी ने जांच कर किसानों के लिए अलग-अलग मुआवजा तय किया था. नुकसान के अनुरूप कम मुआवजा तय किए जाने से किसानों ने इसका विरोध किया. इस देखते हुए फिर मंगलवार को टाटा स्टील फाउंडेशन के अधिकारियों की टीम उलदा गांव पहुंची. टीम ने किसानों के साथ खाता संख्या, प्लॉट संख्या और रकवा के हिसाब से जिन खेतों में फसल लगी है, उन जमीनों की जांच कर सत्यापन किया. कंपनी द्वारा तय मुआवजा से किसान संतुष्ट नहीं थे. किसानों की असंतुष्टि के बाद मंगलवार को टाटा स्टील फाउंडेशन के अधिकारी आनंद सिंह, आशीष प्रसाद और नासिर हुसैन दोबारा जांच करने को पहुंचे. विदित हो कि इस पूर्व भी कंपनी पदाधिकारियों की टीम दारीसाई कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ आरएन मिश्रा, गोदरा मार्डी व अंचल कार्यालय से किशन रॉय और अंचल अमीन सुरेश रजक के साथ जांच और सत्यापन कर चुके हैं. मालूम हो कि स्लैग युक्त पानी से 39 किसानों के खेत स्थायी रूप से बर्बाद हो चुके हैं. इसमें खेती संभव नहीं है. खेत बंजर हो गया है. उलदा ग्राम प्रधान छुटू सिंह का कहना पर जितना बर्बाद हुआ उसके अनुरूप मुआवजा नहीं दिया जा रहा. इसलिए हमलोग विरोध जता रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

