गालूडीह. गालूडीह के महुलिया प्लस टू हाई स्कूल परिसर में वर्ष 2001 में बना आदिवासी बालक छात्रावास जर्जर हाल में है. इसमें 11 छात्र किसी तरह रहते हैं. ये छात्र बंगाल सीमा से सटी बीहड़ पंचायत झाटीझरना के हैं. स्कूल से गांव की दूरी 40 किमी से अधिक होने के कारण मजबूरी में रह रहे हैं. छात्रावास की छत का प्लास्टर टूट-टूट कर गिर रहा है. सरिया बाहर निकली आयी है. आस पास जंगल हो गया है. सांप-बिच्छू का भय रहता है. यहां बच्चों के लिए सोने की पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं है. बेडशीट, कंबल आदि की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. सर्द रातें मुश्किल से कट रही हैं. स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों को रहने से मना किया है. बच्चे मजबूरी में रह रहे हैं. बच्चे क्या करें? गांव से स्कूल हर दिन नहीं आ सकते हैं. झाटीझरना में कहने को उउवि है, पर शिक्षकों का घोर अभाव है. गालूडीह महुलिया में रहने से पढ़ाई बेहतर होती है. छात्रावास में बच्चे खुद भोजन पकाते हैं. छात्रों ने बताया कि वे जर्जर छात्रावास में जैसे-तैसे पढ़ाई करते हैं. कई बार पढ़ाई के दौरान छत का प्लास्टर गिर जाता है. घर दूर होने के कारण आना जाना संभव नहीं है. मजबूरी में रहना पड़ता है. जानकारी के अनुसार छात्रावास में सभी विद्यार्थी अपने खर्चे पर रहते हैं. घर दूर होने के कारण रहने के लिए अनुमति दी गयी है.
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