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East Singhbhum News : बांस कला पर महंगाई की मार, मुंह मोड़ रहे परिवार

काली पूजा, सोहराय और छठ पर्व को लेकर घाटशिला प्रखंड की मनोहर कॉलोनी के लोग बांस से पारंपरिक वस्तुएं बना रहे हैं. कॉलोनी में लगभग 45 परिवार व 300 आबादी है.

घाटशिला.

काली पूजा, सोहराय और छठ पर्व को लेकर घाटशिला प्रखंड की मनोहर कॉलोनी के लोग बांस से पारंपरिक वस्तुएं बना रहे हैं. कॉलोनी में लगभग 45 परिवार व 300 आबादी है. केवल 10 परिवार बांस से सामग्री बनाकर घर चला रहे हैं. बाकी लोग मजदूरी और वाहन चालक का काम कर परिवार चलाते हैं. कॉलोनी के 65 वर्षीय रघु कालिंदी और उनकी पत्नी सुकुंदी कालिंदी बुधवार को सूप बना रहे थे. उन्होंने बताया कि काली पूजा, दिवाली और सोहराय के समय सूप व टोकरी की बिक्री अच्छी होती है. छठ पर्व में सूप और दउरा की मांग अधिक रहती है.

रघु कालिंदी ने बताया कि मैं बचपन से बांस से सूप, दउरा, टोकरी जैसी सामग्री बनाते आ रहे हैं. आज भी लोग खरीदने आते हैं. महंगाई के कारण मुश्किलें बढ़ गयी हैं. अब एक बांस की कीमत लगभग 200 रुपये हो गयी है. तैयार सूप 120 से 150 रुपये में बिकता है. उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलती है. पत्नी को नहीं मिलती है. परिवार का खर्च किसी तरह चल रहा है. वहीं, राजू कालिंदी ने कहा कि इस व्यवसाय अब ज्यादा लाभ नहीं है. युवा वर्ग मजदूरी या वाहन चलाने के काम में जुट गया है. कॉलोनी में अब तक महिला स्वयं सहायता समूह का गठन नहीं हुआ है. इसके कारण महिलाओं को सरकार की ऋण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि मनोहर कॉलोनी के पारंपरिक बांस शिल्पकारों को समूह बनाकर ऋण और प्रशिक्षण की सुविधा दी जाये, ताकि यह पारंपरिक कला जीवित रह सके और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो.

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