बरसोल. रगड़ो खाल नदी किनारे स्थित श्मशान घाट तक आज भी पक्की सड़क का अभाव है. इस बुनियादी सुविधा के न होने से क्षेत्र की बड़ी आबादी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर बरसात के मौसम में. कच्ची सड़क की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि शव लेकर अंतिम यात्रा पर जाना भी एक संघर्ष बन गया है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात में सड़क पर कीचड़ और पानी भर जाने से शव वाहन या कंधे पर शव लेकर ले जाना बेहद मुश्किल हो जाता है. कई बार तो लोगों को घुटनों तक कीचड़ में चलकर किसी तरह श्मशान घाट तक पहुंचना पड़ता है.
झाड़ियां बन गयी हैं रास्ते की दीवारें
स्थानीय लोगों ने बताया कि जिस कच्चे रास्ते से श्मशान घाट तक पहुंचा जाता है, वह पूरी तरह झाड़ियों से पटा हुआ है. सड़क के दोनों ओर और बीचों-बीच झाड़ियां फैल गयी हैं, जिससे नंगे पैर चलना तक दूभर हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि यदि बरसात में किसी की मौत हो जाती है, तो वे भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि ऐसी स्थिति दोबारा न आए.जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग, लेकिन नहीं हुई पहल
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कई वर्षों से स्थानीय जनप्रतिनिधियों से पक्की सड़क की मांग की जाती रही है, लेकिन अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गयी. हर बार आश्वासन मिल जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत जस की तस बनी हुई है.
श्मशान घाट की भी हालत खराब
ग्रामीणों ने बताया कि करीब 10 साल पहले पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने श्मशान घाट पर एक पक्के घर (वेटिंग रूम) का निर्माण कराया था, लेकिन अब वह भी झाड़ियों से घिर चुका है और रखरखाव के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो चला है.ग्रामीण बोले-श्मशान घाट तक जल्द बने पक्की सड़क
ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से श्मशान घाट तक तत्काल पक्की सड़क निर्माण की मांग की है. उनका कहना है कि यह केवल एक सड़क नहीं, सम्मानजनक अंतिम यात्रा का मार्ग है, और इसे नजरअंदाज करना मानवता के खिलाफ है. मौके पर धनपति बेरा, आशीष सतपति, सुकरा बेरा, सुनील बेरा,कराली त्रिपाठी, बिनय रथ, पवित्र बेरा,चतुर्भुज बेरा,विजय रथ, भवेश षडंगी, पापू दास,गदाधर नायक,सुभम सतपति, मदन मोहन बेरा, कान्हू बेरा,रबीन्द्रनाथ बेरा,मनरंजन नाइक,गोपाल बेरा, बिप्लब बेरा आदि समेत अनेकों ग्रामीण उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

