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बिल्डिंगों में बना लिया लोअर ग्राउंड फ्लोर, बेसमेंट में चल रहा बिजनेस

होटल सोनेट, सेंटर प्वाइंट और शाश्वत व बारबिक्यू बिल्डिंग का किया निरीक्षण

झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर बनी कमेटी ने की जांच, पायीं गड़बड़ियां होटल सोनेट, सेंटर प्वाइंट और शाश्वत व बारबिक्यू बिल्डिंग का किया निरीक्षण जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में भवन निर्माण में अनियमितता का मामला मामले में अगली सुनवाई 9 अप्रैल को फोटो है दुबे जी का जमशेदपुर.झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर गठित जांच कमेटी ने शनिवार को जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में बने भवनों की जांच की. कमेटी में शामिल सीनियर एडवोकेट आरएन सहाय, एडवोकेट सुदर्शन श्रीवास्तव और एडवोकेट पांडेय नीरज राय ने सैंपल के तौर पर बिष्टुपुर स्थित होटल सोनेट, होटल सेंटर प्वाइंट और शाश्वत व बारबिक्यू वाली बिल्डिंग की जांच की, जिसमें कई खामियां पायी गयीं. सैंपल के तौर पर इन लोगों ने देखा कि बिल्डिंग का नक्शा कितना पास है, कितने पर भवन बना है और वहां पार्किंग के क्या इंतजाम हैं. बिष्टुपुर के टीके बिल्डिंग में हुआ है अवैध निर्माण : कमेटी ने पाया कि यहां पार्किंग का कोई इंतजाम नहीं है और सड़क व आसपास के इलाकों में पार्किंग करा दी जा रही है, जो अवैध है. नक्शा विचलन की शिकायत सही पायी गयी. इसके बाद कमेटी के सदस्य बिष्टुपुर स्थित चेंबर भवन के पास स्थित टीके बिल्डिंग भी गये, जहां इस तरह के अवैध निर्माण पाये. गलत तरीके से बेसमेंट में बिजनेस का संचालन करते पाया. टीम के साथ एसडीओ पारुल सिंह, जमशेदपुर अक्षेस के नगर उप आयुक्त कृष्ण कुमार समेत अन्य पदाधिकारी भी थे. अनियमितता से ही शहर में है पार्किंग की समस्या : जांच दल के नेतृत्वकर्ता वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सहाय ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि इतनी अनियमितता है कि शहर में पार्किंग की समस्या होनी ही है. किसी भी बिल्डिंग में पार्किंग का इंतजाम नहीं है. जितनी जमीन का एलॉटमेंट किया गया है, उसमें बिल्डिंग खड़ी कर दी गयी है. कहीं सेटबैक नहीं छोड़ा गया है. बेसमेंट में व्यावसायिक गतिविधियां चल रही हैं. बैंक्वेट हॉल चलाया जा रहा है. दो बिल्डिंग मालिक ने काफी दबाव के बाद औपबंधिक नक्शा दिखाया, जिसमें सिर्फ ग्राउंड प्लस एक मंजिल ही बनाने को कहा गया था, लेकिन वे लोग छह मंजिल और बेसमेंट तक बना दिये हैं. उन्होंने बताया कि हमने देखा कि ग्राउंड फ्लोर बनाया गया है और लोअर ग्राउंड फ्लोर तक बनाया गया है, जो समझ से परे है. इन सारी बिल्डिंग के बाहर सड़कों पर या फुटपाथ पर पार्किंग की गयी है. इस बार प्रशासन ने जांच में पूरा सहयोग किया है. अभी कुछ बिल्डिंग को ही देखा है. सारी बिल्डिंग नहीं देखा जा सकता है, लेकिन जो देखा है, उसमें खामियां ही खामियां हैं. उन्होंने बताया कि समय पर सारी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी. क्या है हाइकोर्ट का आदेश : गौरतलब है कि झारखंड हाइकोर्ट में याचिकाकर्ता राकेश झा की ओर से दायर जनहित याचिका 2078/2018 की सुनवाई हुई थी. इसमें जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी. कमेटी को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है. शिकायत में बताया गया है कि 2011 में जमशेदपुर अक्षेस ने 46 अवैध भवनों को चिन्हित कर सील किया था. इस सीलिंग के बाद जमशेदपुर में 1246 अवैध भवनों का निर्माण हो चुका है, सारे भवनों में पार्किंग की जगह व्यावसायिक दुकानें खोल दी गयी हैं, जिससे गाड़ियां सड़कों पर पार्किंग की जाती हैं. शिकायत पर जांच कमेटी को तत्काल रिपोर्ट देने को कहा गया है. रिपोर्ट में वृहद स्तर पर अनियंत्रित अवैध निर्माण में जिम्मेदार अधिकृत जेएनएसी की भूमिका क्या है, वर्ष 2011 में हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश पर अब तक क्या कार्रवाई की गयी है और नक्शा पारित करने एवं संशोधन करने में कौन-कौन सी अनियमितताएं बरती गयी हैं और कितने भवनों को नियम के विरुद्ध तल निर्माण का परमिट दिया गया है, इसकी जानकारी देनी थी. मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होनी है.

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