घाटशिला. झामुमो युवा मोर्चा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष विक्टर सोरेन ने मंगलवार को एक प्रेस बयान जारी कर झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी के बयान का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि कुणाल षाड़ंगी ने चंपाई सोरेन से सीधे सवाल पूछे थे, उनका जवाब के बजाय कुछ छुटभैया नेता अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं. कुणाल षाड़ंगी ने पूछा था गुरुजी शिबू सोरेन के साथ राजनीतिक और आंदोलनकारी जीवन शुरू किया था. इसके बावजूद गुरुजी बीमार थे, तो उन्हें देखने चंपाई सोरेन नहीं गये. उनके निधन पर नेमरा भी नहीं गये. उनकी पार्टी के कई बड़े नेता दिल्ली अस्पताल और नेमरा गये. इतना सवाल पूछने पर कुणाल षाड़ंगी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की जा रही है. मनभेद और मतभेद हर जगह होते हैं. इतनी शत्रुता क्यों है? हेमंत सोरेन जेल गये, तो आपको सम्मान देकर मुख्यमंत्री तक बनाया.
‘रामदास को श्रद्धांजलि देने घर भी नहीं गये चंपाई’
विक्टर सोरेन ने कहा कि बड़े पापा रामदास सोरेन ने आपके साथ 30 वर्षों तक राजनीति की. एक दल में रहे. आपके साथ झारखंड आंदोलन में अपना योगदान दिया. उनकी असमय मृत्यु पर आपने कौन सा सम्मान दिया. उनके गुजरे आज 45 दिन हो गये. घोड़ाबांधा स्थित उनके आवास पर जाकर श्रद्धांजलि देना भी जरूरी नहीं समझे. अगर रामदास सोरेन के प्रति आपका सम्मान और स्नेह होता, तो इस परिस्थिति में अपने बेटे को उप चुनाव में नहीं उतारते. आपने उनको श्रद्धांजलि उस जगह दी, जहां से आपको अपने पुत्र को चुनाव लड़वाना था. आपने रामदास के असमय मृत्यु पर राजनीतिक माइलेज लेने का प्रयास किया. इसको झामुमो के कार्यकर्ता और घाटशिला विधानसभा के लोगों ने देखा व याद रखा है, जिसका प्रतिकूल जवाब जनता देगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

